पत्थर में शबनम को घुलते देखा है
इंद्रधनुष को आसमानों में बनता देखा है
और आपकी तालियों की गूंज से इस प्रांगण को महकते देखा है
और हमारे कलाकारों में एक नए उत्साह में मंच पर आते देखा है।
हजारों फूल चाहिए एक हार को पिरोने के लिए
पर आपकी तालियाँ ही काफी हैं इस महफिल को सजाने के लिए।
एक जमी एक आसमान है
एक ही खुदा और भगवान है
एक छोटे से मेरा पैगाम है
क्यों न आपकी तालियों के साथ करे शुरू यह सुंदर प्रोग्राम है।
महफिलों को रहता जिसका इंतजार है
जिसकी लिए होता हर कोई बेकरार है
रौनक बढ़ जाएगी प्रांगण की
मिल जाए अगर ऑडियंस का इस मंच को भरपूर प्यार है।
आसमानों से बरस रहा नूर है
सितारों ने लगाया अपना दरबार है
रंग बिखेरने आ रहे अब कलाकार हैं
एक बार जोरदार तालियों के साथ करे इनका हौसला अफजाई बारंबार है।
सूरज को ढलते देखा है
फूलों को महकते देखा है
फसलों को खिलते देखा है
और आपकी लगातार तालियों ने कलाकार में नए उमंग और महफिल में चांद को उतरते देखा है।
बुझते दीपक में मैंने रोशनी को जलते देखा है
अंधेरे में भी तारों को जगमगाते देखा है
और आपकी तालियों से सिर्फ कलाकारों में नया उत्साह नहीं
इस प्रांगण की दीवारों को भी आपके रंगों में रंगते हुए देखा है।
Must Read:-