“आओ झुककर सलाम करे उन्हें
जिनके हिस्से में यह मुकाम आता है
खुशनसीब होते है वो लोग
जिनका खून देश के काम आता है।“
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, समस्त शिक्षक गण, पधारे गए अथितिगण और मेरे प्यारे सहपाठियो।
दो पंक्ति मेरे वतन के नाम,
मेरा मुल्क, मेरा देश, मेरा यह वतन
शांति का, उन्नति का, प्यार का चमन
इसके वास्ते निसार हैमेरा तन मेरा मन
ए वतन3 जानेमन3
जैसा कि हम सब जानते है कि आज का दिन भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है और यह सिर्फ एक दिवस ही नही बल्कि स्वंत्रत भारत की स्वन्त्रता का प्रतीक है, क्योंकि आज के ही दिन भारत अंगेज़ी हुकूमत से पूरी तरह आज़ाद हुआ था और पराधीनता की बेड़ियों को तोड़ सोने कि चिडिया कहने वाला भारत फिर खुली हवा में सुकून की सांस लेने लगा था।
पर यह आज़ादी इतनी आसाम नही थी, इस आज़ादी के लिए कितने वीरो ने संघर्ष किया, भगतसिंह सुखदेव, चंद्र शेखर आज़ाद, सुभाषचंद्र बोस, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई इत्यादि ने लोगो मे क्रांति की ज्योत न जलायी, बल्कि जंग के मैदानों में कूद पड़े, अत्याचार सहते रहे, पर तिरंगे को झुकने नही दिया, भारत माँ का मान, सम्मान स्वाभिमान कायम रखा। हम तो कल्पना भी नही कर सकते, जलियांवाला बाग देखो जहाँ खूब चली थी गोलियां, या भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को देखो जो हँसते हँसते फांसी पे चढ़ गए, पर इंकलाब के नारे से धरती को गुंजा दिया, चंद्रशेखर आज़ाद को देखो अंग्रेजों की गोली से उनको मरना मंज़ूर न था, अपने ही हाथों अपनी प्राणों को आहुति दी, ऐसे सच्चे
वीर धरती माँ के जिनकी वजह से ही अंग्रेज़ो की गुलामी से आज़ाद हो पाए थे।
सर्वप्रथम सरस्वती पूजन और दीप प्रज्वलन के लिए में संस्थान के अध्यक्ष….……..,मुख्य अथिति…….. और प्राचार्य को आमंत्रित करती हूं।
दीप प्रज्वलित हुए, हुआ नया सवेरा है
विद्यालय का प्रांगण रोशनी से हुआ उजियारा है
झिलमिल सितारे सारे करते आपको वंदन है
पधारे गये अथितियो को हमारा सत सत अभिन्नन्दन है।
कार्यक्रम की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए पधारे गए मुख्य अथिति…… और विद्यालय के प्राचार्य ….को stage पे आमंत्रित करती हूं और अनुरोध करती हूं कि वो ध्वजारोहण करे।
(ध्वजारोहण के बाद)
में पधारे गए अथतिगण, शिक्षकगण और विद्यार्थीयो से निवेदन करती हूं, की वो राष्ट्रगान के लिए अपने अपने स्थान पे खड़े हो जाइए।
दिन वो फिर आया है
तिरंगा खुलकर मुस्कुराया है
तोड़ कर पराधीनता की बेड़ियों को
देखो ध्वज़ कैसे मुस्कुराया है।
रंग बिखेरती थिरकते हुए कार्यकर्म का करते आगाज है
खूबसूरत सुबह की करते शुरआत आप सबकी तालियों के साथ है
तो एक बार जोरदार तालियों के साथ इस कार्यकर्म में रंग भर दे और बच्चो का मनोबल बढ़ाए क्योंकि कुछ ही देर में सितारे इस मंच पे आने वाले है और जलवा बिखेरने वाले है,
अब कार्यकर्म की पहली प्रस्तुति को मंच पे आमंत्रित करना चाहूंगी जो पराधीनता की बेड़ियों में जकड़े हुए भारत की उस तस्वीर को उजागर करने वाली है, जो आंखों में आसूं ला देगी so welcome on stage Shilpi and group
कतरे कतरे में आज़ादी का लहू जहाँ बहता था,
छोटी सी उम्र में भी देशभक्ति का झरना झर झर करता था
इंकलाब जिंदाबाद के नारे जहाँ हर गलियारे में गुंजा करता था
यह आज़ादी के वो परवाने थे, जिन्होंने तिरंगे से अपना कफ़न बांधा था।
Thanku shilpi and group
अब मंच पे आने वाली है वो टोली, जो मधुर गायन से मंच पे बिखेरेगी अपने रंग और थिरकते हुए देशभक्ति के संग
So welcome on stage सक्षम and group
खड़े है वो सरहदपर हम घर पर दीप
वो घर पर दीप जलाती है,
वो रात भर पहरा देते है
हम चैन की नींद सो जाते है।
अगली पेशकश है शुभम की जो सैनिक पे एक देशभक्ति की कविता लेकर आ रहे है,
ठीक ही कहा शुभम ने,
फौजी की वर्दी पहनकर
सीना तान कर खड़े रहते है
दुश्मन को भी जो मौत की नींद सुला देते है।
अब में chief guest sir को मंच पे आमंत्रित करती हु और…….sir से request करुँगी की वो दो शब्द कहे।
क्या तारीफ़ करू में sir आपकी, अल्फ़ाज़ भी कम पड़ जायेंगे
आपकी उपलब्धि को बताने लगी तो सुबह से शाम हो जायेंगी
बस इतना ही कहना चाहुगी-
न हर समुन्द्र में मोती सदा खिलते है
न हर मंज़र में दीप सदा जलते है
पर जिनके खिलने से समस्त उपवन खिल उठे
ऐसे पुष्प उपवन में सदियों बाद ही खिलते है।
अब में principal mam se request करुगी की वो मंच पे आए और आज के इस कार्यकर्म पर दो शब्द कहे
Thanku mam
आपके बारे में इतना ही कहूंगी
चट्टानों सम जीवन है आपका,
फिर भी चेहरे पे रहती हरदम मुस्कान है
समय की पाबंदी और आपका उसूल आपका जीवन है
तभी तो विद्यालय का मान सम्मान
और विद्यार्थियों का अभिमान है आप।
अब मे हमारे पधारे गए मुख्य अथिति का विद्यालय की और से, हम विद्यार्थी की और से धन्यवाद ज्ञापन करना चाहूंगी की उन्होने इतने व्यस्त होते हुए भी इस विद्यालय के लिए, हम विद्यार्थियों के लिए वक़्त निकाला और हमे प्रोत्साहित किया और अपने आशीर्वचन रूपी शब्दो से हमे अनुग्रहित किया , इस विद्यालय का प्रांगण हमेशा आपका आभारी रहेंगा।
अंत में चार पंक्तियों से अपनी वाणी को विराम देती हूं और मुख्य अथिति sir को धन्यवाद देती हूं।
आओ सलामी दे उन्हें
जो इसके असली हकदार है
मिट्टी की हर एक परत
उन्ही की कर्जदार है।
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