क्या चित्रण करे विज्ञान का जो खुद में विश्लेषित है
लाखों लोगो से अठखेलियां करती, वह मानव निर्मित है
बढ़ता हुआ विकास एक नई कामयाबी का मंजर
रहस्यमयी दुनिया का दिखाया जिसने हमे दर्पण है।
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, समस्त शिक्षकगण, पधारे गए अथितिगण और मेरे प्यारे सहपाठियो।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की सबको हार्दिक शुभकामनाएं देना चाहती हू और विज्ञान दिवस पर मुझे मंच प्रदान करने के लिए आप सबका तहदिल से धन्यवाद ज्ञापित करती हु।
विज्ञान ने मानव के विकास में मुख्य भूमिका अदा की है क्योंकि जिस प्रकार सूर्य अंधेरों से निकलकर रोशनी की किरणों से जग को प्रकाशित करता है उसी प्रकार विज्ञान ने मानव जीवन को नया आयाम दिया है। एक नई सोच और निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। एक बुझते हुए दीपक में भी रोशनी की लो जगा दी, एक खंडर को भव्य महल का रूप दिया या कहे मिट्टी को भी सोने में जिसने रूपांतरित किया उसी विज्ञान ने करोड़ों मानव के घरों में रोशनी से रोशन किया और इस विज्ञान को उपयोगिता और उसका प्रचार प्रसार करने के लिए राष्ट्रीय विज्ञान दिवस बनाया जाता है।
पर क्या हम यह जानते है की यह दिवस २८ फरवरी को ही क्यों बनाया जाता है क्योंकि इसी दिन विज्ञान के क्षेत्र में एक ऐसी खोज हुई जो मील का पत्थर साबित हुई और जिसकी वजह से कितनी और खोज हो पाई और इस खोज को आज हम रमन इफेक्ट के नाम से जानते है और इसका आविष्कार भारतीय वैज्ञानिक
सर चंद्रशेखर वेंकट रमन ने किया और
सर चंद्रशेखर वेंकट रमन को वर्ष 1930 में फिजिक्स में नोबेल पुरुस्कार से सम्मानित भी किया गया था । और यह दिन उन्ही की याद में बनाया जाता है।
भारतीय सरकार ने 1986 में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में स्वीकार किया और पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी, 1987 को मनाया गया तब से हर वर्ष 28 फरवरी को यह दिन बड़े ही रोचक तरीके से बनाया जाता है। इस दिन विद्यालय में शोधकार्य, विज्ञान एग्जिबिशन लगते है और विद्यार्थी इसमें अपनी प्रतिभा दिखाते है, और फिजिक्स के प्रोफेसर कोAs a chief guest बुलाया जाता है, और विधार्थियो को प्रोत्साहित भी किया जाता है।
अंत में चार पंक्तियां कहकर विज्ञान दिवस की सबको हार्दिक शुभकामनाए देना चाहती हु।
विज्ञान है तो विकास संभव है
अचंभित होता रोज मानव है
दुनिया कहती मानती जिसे चमत्कार है
रहस्यमयी दुनिया का विज्ञान ने दिखाया मंजर है।
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