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Sarojini Naidu Essay Speech | सरोजनी नायडू पर निबंध |Essay on Sarojini Naidu in Hindi

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sarojini naidu speech in hindi

आदरणीय प्रधानाचार्य जी, समस्त शिक्षकगण और मेरे प्यारे सहपाठियो

न हर समुद्र में मोती सदा मिलते है
न हर मंजर में दीप सदा जलते है
पर जिनके खिलने से समस्त उपवन महक उठे
इसे पुष्प उपवन में सदियों बाद ही खिलते है।

और ऐसे ही फूलो के समान कोमल से आपको रूबरू करवाना चाहती हु, जो असाधारण व्यक्तित्व की धनी, एक कुशल राजनीतिज्ञ, कवयित्री, समाज सुधारक, महान क्रांतिकारी, नारी सशक्तिकरण में अहम रोल अदा करने वाली, प्रसिद व्यक्ता, देश की पहली महिला राज्यपाल और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष का गौरव पाने वाली, भारत की कोकिला कहे जाने वाली सरोजिनी नायडू जी का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में एक बंगाली परिवार में हुआ, इनके पिता का नाम अघोरनाथ
चटोपाध्याय जो पेशे से वकील और डॉक्टर थे, इनकी माता वरद सुंदरी जो एक लेखिका थी और 8 भाई बहनों में सबसे बड़ी थी।

चित्रण क्या करू उनका जिसका जीवन खुद एक विश्लेषण था
लाखो करोड़ों की भीड़ में बनी वो पथ प्रदर्शक थी
एक ही सूत्र में पूरे भारत को पिरोने की जिसने कोशिश की थी
वो और कोई नही हम सबकी प्रिय सरोजिनी नायडू थी।

सरोजिनी नायडू जी ने 13 वर्ष की आयु में 1300 पंक्तियों का काव्य झील की रानी लिख दिया जिसे देखकर उनके पिता बड़े अचंभित हुए और उन्होंने उसके काव्य की कही प्रति प्रकाशित किया और एक उसकी प्रति हैदराबाद के निजाम को भेंट की जिसे देखकर वो बेहद खुश हुए और उन्हें विदेश में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप प्रदान की।

उनका पहला कविता संग्रह ‘ द गोल्डन थ्रेशहोल्ड ‘ 1901 में प्रकाशित हुआ था।

अंग्रेज सरकार ने उन्हें केसर ए हिंद के पद से सम्मानित किया पर जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद उन्होंने यह पद वापस ले लिया।

उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में अपनी कविता के माध्यम से, भाषण के माध्यम से हर प्रांत के लोगो को जगाने का प्रयास किया और स्वत्रंता संग्राम की लड़ाई में उनका योगदान सराहनीय था।

2 मार्च 1949 मे देश की कोकिला हमेशा के लिए शांत हो गई थी पर लगता है आज भी हमारे बीच में कही है पर उनकी कविताएं आज भी हमारे दिल को छू जाती है और उनका एहसास करा जाती है।

अंतिम चार पंक्तियों कहती हु और सरोजिनी नायडू के चरणों में वंदन करती हु और राष्ट्रीय महिला दिवस की सबको हार्दिक शुभकामनाएं देती हु।

“भारत की आवाज थी
सबके दिलो में बसने वाली वो सिरताज थी
समाज सुधारक और कुशल राजनीतिज्ञ थी
केसर ए हिंद का सजा जिसके ताज था
महान क्रांतिकारी में उनका भी तो नाम था
महिलाओं के हित में उन्होंने किया काम था
तभी तो खड़ा उनके साथ पूरा हिंदुस्तान थी
सरोजिनी नायडू देश की आन, बान और शान थी।”

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