1. Nari Shakti par kavita
कितनी आसानी से कह दिया ना की तुम तो एक अबला नारी हो। तुमसे न होगा यह तुम तो अबला नारी हो। कितनी आसानी से तुमने नारी के अस्तित्व पर सवाल उठा दिया। कितनी आसानी से तुमने अपनी ही भाषा में नारी को परिभाषित कर दिया। कितनी आसानी से तुमने नारी को अपनी ही दुनिया में समेट लिया। और कितनी आसानी से तुमने नारी को बेचारी बना दिया।
Nari Shakti Kavita |
कितना आसान सफर था और तुम खुद उसके चौकीदार थे। पर क्या तुमने नारी के मन तो टटोला है या कभी तुमने नारी को खुद के लिए जीते देखा है। क्या कभी तुमने नारी को अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए देखा है या तुमने उस नारी को प्रसव की पीड़ा झेलते हुए देखा है। पर आज नारी अबला नहीं रही है। आज नारी किसी भी क्षेत्र में पिछड़ी नहीं है खुद बनी अपनी ढाल है आओ देखो नारी जगत का नया संसार है।
नारी तू महान
नारी मान है, सम्मान है, घर का स्वाभिमान है
मत रोंदो उसे वह जगत का आधार है
आज नहीं वो बेबस और लाचार है
आज वो धारण कर चुकी दुर्गा का भी अवतार है।
बेबसी की जंजीरो से छुड़ा लिया जिसने अपना दामन है
खुले आसमान की छाव में दुनिया में आज उसका नाम है
कल्पना चावला की बात करे या किरण बेदी को सलाम करे
हर क्षेत्र में नारी ने बनायी आज अपनी अद्भूत पहचान है।
ममता भरी जिसके आँचल में है
त्याग करती जो हर बार है
देवी का दर्जा मिला है
नारी तू तो महान है।
समर्पण जिसके स्वाभाव में है, अर्पण जिसके संस्कार है
हर रूप में ढल जाती , हर देह में निखर जाती है
वो है तो दुनिया है , दुनिया है तो हम है
हमारा स्वाभिमान है वो, निर्मल विचारो की धारा है।
सुई की नौक पे चलना हो
या भिड़ना हो आज अंगारो से
आज नहीं वो डरती किसी से
खुद बनी अपना अभिमान है।
आज नहीं जीती किसी के अहसान तले
खुद ने रोशन किया अपना आशियाना है
विरूद खड़ी आज वो अत्याचारों से
आज बनी वो प्रचंड ज्वाला है।
एक नारी की यही कहानी है
सागर में समाहित उसके गुणों की प्याली है
दुनिया चलती आज उसके पदचिन्हों पर
क्युकी उसकी महिमा तो अजब निराली है।
2.Poem on Nari in Hindi, Poem on Womens Days Special
महिला दिवस पर कविता । Woman’s Day Short Poems in Hindi
नारी की पीड़ा को किस व्यथा में कहूं
कागज़ भी रो पड़े ऐसी कोनसी पीड़ा लिखू
अपनेपन के आगाज़ से बनाती है जहाँ हमारा
अपने प्यार से महकाती दुनिया का हर कोना।
माँ के रूप में जननी जब वो बनती है
होती उसको असहनीय पीड़ा जो वो सहती है
ममता के प्यार से और दुआयों के असर से अपने बच्चे को महान वो बनाती है
अपनी बच्चों की खुसयाली के लिए हर दर्द व सहती है।
बेटी के रूप में आंगन में गुलछर्रे वो करती है
माँ के लाड़ प्यार और दादी के आशीर्वाद से बड़ी वो होती है
उसकी कठिनाईयो का दौर दस्तक देने लगता है
बाबुल के आंगण में एक नए हमसफ़र के सपने वो ही बुनती है।
बाबुल का घर छोड़ एक दिन उसे जाना पड़ता है
अपनो के बिछुड़ने के दर्द से वो रोती है
बसाती अपना नया संसार बाबुल की दुआयों से
अपनी कुर्बानियों को नही वो कभी जताती है।
ननद देवर के रूप में मिलते उसे भाई बहन
सास ससुर के रूप में मिलते है भगवान
पति के रूप में मिलता उसे परमेश्वर
बाबुल से बिछुड़ने के बाद मिलता नया परिवार।
करती सबकी सेवा नही वो कतराती है
अपने सपनो की बलि चढ़ाने में नही वो हिचकिचाती है
देती कुर्बानिया पग पग पर अपने वजूद के लिए नही वो लड़ती है
हक़ीक़त की दुनिया से वाकिफ़ होकर सपने वो नही देखती है।
अपनी कुर्बानियों का चिट्टा नही हर दर पे वो बाटती है
हर दर्द और पीड़ा अकेले ही सह जाती है
गमो से घिरकर भी शीतलता सबको प्रदान करती है
तभी तो इस दुनिया की जननी वो ही कहलाती है।
Read:-
Poem on father:https://nrinkle.com/2020/07/father-day-poem/
Poem on Grandmother:-https://nrinkle.com/2020/12/poem-on-grandfather-in-hindi/
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