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Hindi Article on Maa- nazar me MAA Kya ha

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आपकी नज़र में माँ क्या है ????
 


रिभाषा :—–

”माँ ग्रन्थ है सारे श्लोक उन्ही से है 
 माँ सागर है किनारा उन्ही से है 
 माँ जग है संसार उन्ही से है 
 माँ रचना है सृष्टि उन्ही से है। ”

एक शब्द जिसके अनेक रुप, एक लफ्ज़ जिसके अनेक भावार्थ, एक आवाज़ जिसके अनेक सुर, एक रूप जिसके अनेक प्रतिरूप वो है माँ.
एक शब्द में परिपूर्ण जिसका अस्तित्व , जिसकी व्याख्या करना मुश्किल, समेत लेती सारे दुखो को आँचल में फिर भी देती सबको प्यार है उसी का नाम है  माँ।

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” विशाल ह्रदय और आँखों में जिसके असीम प्यार है 

  माँ तेरी महिमा को वंदन बारम्बार है। ”

” तु निश्छल सरोवर है सागर तुझसे ही है 
   तु  रास्ता है मंज़िल तुझसे ही है 
   तु आस्था है विश्वास तुझसे ही है 
   मेरी माँ मेरा अस्तित्व तुझसे ही है। ” 


   माँ ने क्या त्याग किया ???

जब जीव माँ के गर्भ में प्रवेश करता है तो माँ कितनी खुश होती है और वो नो महीने उसका भार उठाती है उसका ख्याल रखती है और अपनी इछाओ का परित्याग करती है।  अपने बच्चे के लिए हर त्याग वह हसते हसते करती है।  कितनी पीड़ा और कितना दर्द होता है जब उसका बच्चा इस दुनिया में जन्म लेता है पर माँ अपने बच्चे को देख वह दर्द भी चुपचाप सहन कर लेती है।

” क्या होती है  ना है माँ 
  कितनी अलग होती है ना माँ 
  कितने त्याग करती है ना माँ 
  कितने दर्द सहती है न माँ।  ”

अपने बच्चे की ख़ुशी के लिए कितने त्याग करती है माँ, बच्चे की किलकारी और रात भर नहीं सोती है माँ।  स्तनपान से अमृत का पान और अपने  होने का एहसास कराती है माँ।  बच्चे को सूखा में सुला खुद गीले में सोती है माँ। बच्चा जब बीमार होता है तो रोती है माँ।

माँ तू ही जन्नत है तू ही मेरा भगवान है 

  तेरे हर रूप को हम सबका सलाम है। ”

क्या हम कभी माँ के त्याग का मूल्य चूका पायगे ??

ग्रंथो में लिखा है की अगर हम हमारे शरीर का चमड़े का जता बना के माँ को पहना दे तो भी हम उसके दूध का क़र्ज़ नही  चूका सकते, उसका त्याग को हम भुला नही सकते।  माँ तो वो पारस पत्थर है जो हर किसे के नसीब में नहीं होती , कुछ लोग तो ऐसे भी होते है जिन्होंने माँ की सूरत भी कभी नहीं देखी होगी।


माँ को खुश रख लिया तो जन्नत आपका घर ही बन जाएगा।  माँ का सम्मान करो , माँ को प्यार करो, माँ को आभास कराओ की वो आपके लिए क्या है. बुढ़ापे में उसकी लाठी बनो।  दुनिया की दौलत एक तरफ और माँ का प्यार एक तरफ है। ममता की  मूरत समर्पित तुझे सारे  संस्कार है, ह्रदय  में तेरा ही एक नाम है।

” माँ तेरे चरणों  में सत सत नमन है                                                                              
  भावना से हमारा उनको अभिनन्दन है
  दुनिया के प्रकाशपुंज का करते हम गुणगान है 
  सारी दुनिया की और से उनको वंदन बारम्बार है। ‘

फिर क्यों अनाथ आश्रम में है माँ ??


” तू हस दे तो मुस्कुराता ये  आसमा है 
  तेरे ही होने से हमारा संसार है 
  फिर भी तेरी आँखों में क्यों आंसूं है 
  क्यों आज तू फिर अकेली है। “

क्यों माँ आज अनाथ आश्रम में है , क्यों आज वो अकेली है ,क्यों उसकी ऑंखें फिर भीगी है , क्यों आज फिर वो रोयी है??????

जिस माँ ने हमे जन्म दिया और हमे इस लायक बनाया की हम दुनिया की भीड़ में अपनी पहचान बना सके और हमने क्या किया , माँ को अकेले छोड़ दिया जब उन्हें हमारी सबसे ज्यादा थी?? क्यों ??? क्या हम  स्वार्थी हो गए ???

आखिर क्या है माँ आपकी नज़र में ???

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लेखिका  


रिंकल 





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