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Script on Gandhi Jayanti in Hindi | Gandhi Jayanti Script in Hindi

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Gandhi Jayanti Shanndaar Script, Script on Gandhi Jayanti

कार्यक्रम शुरू होने से पहले हम खास अतिथि का इंतज़ार करते हैं, जिसके आने के बाद ही कार्यक्रम का आगाज़ होता है।

तो हम जब तक अतिथि अपना स्थान ग्रहण न कर लें, तब तक

तक आप कुछ ऐसा बोल सकते हैं।

कुछ ही समय में कार्यक्रम चालू होने वाला है, जब तक आप सब अपना स्थान ग्रहण कर लें।

हमारे सभा में उपस्थित सभी अतिथिगण का सादर अभिनंदन। हमारे आज के chief guest प्रांगण में पधार चुके हैं, इनका जोरदार तालियों से स्वागत करें।

उसके बाद आप कार्यक्रम को शुरू कर सकते

है।

हैं। कार्यक्रम की शुरुआत में आप एक मुक्तक बोल सकते हैं और कार्यक्रम का आगाज़ कर सकते हैं।

आजादी के फसाने लिखने लगूं तो कलम छोटी पड़ जाती है। कभी खादी पहने गांधी के चरखा चलाते हुए दिख जाते हैं, तो कभी जलियांवाला बाग की त्रासदी रुला जाती है। तो कभी पराधीनता की बेड़ियों में जकड़ी भारत की तस्वीर दिख जाती है, तो कभी प्रदीप कुमार जी की पंक्तियां गुनगुनाने लगती हैं।

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग के बिना ढाल
साबरमती के संत, तूने कर दिया कमाल
आंधी में भी जलती रही गांधी, तेरी मशाल
साबरमती के संत, तूने कर दिया कमाल।

सर्वप्रथम सरस्वती पूजन और दीप प्रज्वलन के लिए मैं संस्थान के अध्यक्ष…….., मुख्य अतिथि…….. और प्राचार्य को आमंत्रित करती हूं।

झिलमिल सितारे सारे करते आपको वंदन है।
पधारे गए अतिथियों को हमारा सत-सत अभिनंदन

अभिन्नन्दन है।

अब पधारे गए मुख्य अतिथि……… का परिचय देने के लिए मैं …….. को आमंत्रित करती हूं।

जैसा कि हमारे मारवाड़ की परंपरा रही है कि हम अपने अतिथि का स्वागत करने में हमेशा तत्पर रहते हैं—

मैं……. सर से निवेदन करूंगी कि वो ……..

sir सर का माल्यार्पण कर स्वागत करें।

स्वागत की इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए मैं ……. सर से निवेदन करूंगी कि वो ……… को साफा पहनाकर उनका स्वागत करें।

क्या चित्रण करूं उसका, जिसका जीवन खुद एक विश्लेषण है।
लाखों करोड़ों की भीड़ में बना जो पथ प्रदर्शक है
एक सूत्र में पूरे भारत को जिसने पिरोया था,
वो और कोई नहीं, मेरे प्यारे बापू थे।

एलबर्ट आइंस्टाइन ने यह तक कह दिया था उनके बारे में। भविष्य की पीढ़ी को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़ मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी इस धरती पर आया था।

तो अब हम कार्यक्रम की कड़ी को आगे बढ़ाते हैं और हमारे बच्चों ने जो प्रयास किया है, जो मेहनत की, उसका आगाज़ करते है और गांधी जी के आचार विचारों को और जानते हैं।

रंगनुमा यह महफिल है,
रंग बिखेरने आ रहे अब कलाकार हैं।
एक बार जोरदार तालियों के साथ
करे हौसला अफजाई इनका बारंबार है।

तो पहली परफॉर्मेंस को स्टेज पर आमंत्रित करती हूं, जो गांधी जी के विचारों को नाटक के माध्यम से हम तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
तो एक बार जोरदार तालियों के साथ सक्षम और ग्रुप को स्टेज पर आमंत्रित करती हूं।

उसके बाद आप बोलेंगे
बहुत ही खूबसूरत अंदाज में आप सब ने गांधी जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला
कदमों में जहान

कदमों में जहान देखा है
वतन की मिट्टी से महकता हिंदुस्तान देखा है
तिरंगे को आसमानों में लहराते देखा है
और आज़ादी के रंगों में रंगा उस राष्ट्रपिता को देखा है
जो हमारे आचार और और हमारे विचारों में जिंदा है
जिन्हें हम कभी बापू, तो कभी महात्मा गांधी, तो कभी राष्ट्रपिता के नाम से बुलाते हैं।

अब अगली परफॉर्मेंस के लिए मंच पर आमंत्रित करती हूं कक्षा 12वीं वी की स्नेहा को, जो आपके समक्ष एक कविता लेकर के आ रही है।

बड़ी ही खूबसूरत कविता थी आपकी, अपने भावों को बड़ी संजीदगी के साथ आपने पिरोया है,
कितना-कितना कितना झेला है, तब कहीं जाकर अपने ही हिंदुस्तान में परिंदे की तरह उड़ पाए।
अपनी ही ज़मीं पर सिर उठा कर चल पाए हैं
अपनी शान-शौकत शौकत को शाख पर रखकर कर जीते थे कभी,
आज गांधी के फलस्वरूप स्वरूप ही पराधीनता की बेड़ियाँ तोड़ पाए हैं।

अब अगली परफॉर्मेंस दसवीं कक्षा के स्टूडेंट्स एक नृत्य लेकर आ रहे हैं, तो एक बार जोरदार तालियाँ हो जाएं। स्वागत है मंच पर अदिति, सुमन, रक्षक, प्रेम, नेहा और दक्ष का।

उसके बाद आप बोलेंगे:
वाकई कमाल है इस नृत्य में और इसे करने वाले में, पूरा मंच को अपने रंगों में डूबा कर देशभक्ति से ओत-प्रोत

प्रोत कर दिया।

तालियों की गड़गड़ाहट रुकनी नहीं चाहिए।
इस महफिल की शोभा घटनी नहीं चाहिए।
आप सब का इंतजार अब खत्म होने वाला है,
क्योंकि एक सरप्राइज़ परफॉर्मेंस अपना जलवा बिखेरने अब स्टेज पर आने वाली है।

A big hand of applause for the surprise performance by our teachers , a small tribute to Gandhiji..let’s listen carefully to them

गांधीजी के विचारो को हमारे टीचर्स ने बड़ी ही शालीनता से व्यक्त किए और हमारा प्रेरणास्त्रोत बनकर गांधीजी के विचारों को हमें सुनाया ताकि हम भी गांधीजी की पगडंडी पर चलकर आदर्शमय जीवन जिएं।

अब मंच को एक ऐसी शख्सियत से रूबरू करवाना चाहूंगी, जो एक समाज सेवक के रूप में कार्यरत हैं, जिन्होंने देश के हित हिट में अपना पूरा जीवन लगा दिया। वो आज इस प्रांगण में हमारे बीच बैठे हैं और इस मंच का गौरव बढ़ा रहे हैं। आमंत्रित हैं मंच पे हमारे आज के चीफ गेस्ट माननीय श्रीपाल जी। , एक बार जोरदार तालियों के साथ इनका स्वागत करें। जब उनकी स्पीच खत्म हो जाए, तो आप बोल सकते हैं:

न हर समुन्द्र में मोती सदा खिलते हैं,
न हर मंज़र में दीप सदा जलते हैं।
पर जिनके खिलने से समस्त उपवन खिल उठे,
ऐसे पुष्प उपवन में सदियों बाद ही खिलते हैं।

Thank you so much sir for all your blessings

अब मैं अंतिम स्पीच के लिए और कार्यक्रम समापन के लिए कॉलेज की प्रिंसिपल मैम को मंच पर बुलाना चाहूंगी।

आपके बारे में इतना ही कहूंगी:
नारियल जैसे कठोर हो,
पर अंदर से सुरभित चंदन हो।

Thank you so much ma’am.

अंत में चार पंक्तियाँ कहती हूँ और गांधी जयंती की फिर से एक बार सबको हार्दिक शुभकामनाएं देती हूँ।

वो आवाज़ थी इंकलाब की,
जो इन्तहा बन रूह में उतरी थी।
नशा बनकर खून में घुली थी,
और आज़ादी का कारवां लेकर
फिर सड़कों पर उतरी थी।
आंदोलन की चली आंधी,
जिसके नायक थे स्वयं गांधी।
सत्य और अहिंसा की जला के मशाले,
पराधीनता के तोड़ दिए सारे ताले।
आज़ादी का सुनाया फिर अफसाना,
तभी तो बापू और राष्ट्रपिता कहलाया।

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