शाशनपति श्रमण भगवान महावीर स्वामी को वंदन नमस्कार करने के पश्चात उन्ही की आज्ञा में विचरण करने वाले संत सतियो के चरण सरोज़ो मे मेरा भावपूर्वक वंदन।
जिनशासन तो वो बगिया है
जहाँ संस्कारो के फूल नित्य खिलते है
अहिंसा की पगडण्डी पे चलकर
कितने ही महावीर बनते है।
यह जिनशासन, यह जिन धर्म और आप जैसे धर्म का ममत्व समझाने वाले और हम सब पर असीम कृपा बरसाने वाले और हमे आगम का ज्ञान और स्वाध्याय का निरंतर अभ्यास कराने वाले ओ गुरुणी जी म.सा. आप आज इस पावन धरा को छोड़ के जा रहे हो, यह पल हम सबके लिए बड़ा ही भावुक करने वाला है क्योंकि आप जैसे गुरुणी की छत्रछाया में हम निरंतर धर्म के मार्ग में प्रस्तत रहे और आपका मार्गदर्शन हमारा प्रेरणास्त्रोत रहा।
आप जिनशासन के वो कल्पवृक्ष हो
जो हर बाग में नही खिलता है
वो खुशनसीब होते है
जिन्हें आप जैसी गुरुणी मिलती है।
मारवाड़ संघ की और से ओ गुरुणी जी मरासा आप से एक ही विनती करना चाहती हु आप इस धरा पे जल्द वापस पधारे क्योंकि आपके कदम जहाँ पड़ते है वो धरा पावन हो जाती है, मिट्टी भी चंदन की तरह महकने लगती है, वातावरण सुगंधित हो जाता है और धर्म का अंकुर हर तरफ प्रकाशित होता है।
इतनी ही विनती है
दिल मे बसाई गुरुदेव आपकी ही तस्वीर है
आपके दर्शन मात्र से खिल उठी जोधपुर शहर की तकदीर है
रहेगा हमेशा इन आँखों को आपका इंतजार है
करती हूं आपको वंदन बारंबार२ है।
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