Poem on Cow in Hindi |
5 वी कक्षा में वो कहावत बहुत सुनी थी
गाय हमारी माता है, हमको कुछ न आता है
तब टीचर्स कहते थे
भेस हमारा बाप है, नंबर देना पाप है।
पर आज
एक सवाल आप सब से है।
क्यो गाय का हो रहा कत्लआम है
ममता का हो रहा ऐसे हास है
सबको नित नयी ऊर्जा से भरने वाली
क्यों उस पे हो रहा इतना अत्याचार है।
बलि चढ़ती उसकी हर रोज़ है
घाणी में वो पील दी जाती है
पर मुश्किल इस बात की है
उसकी लावारिश लाशो पे कोई न आवाज़ उठाता है।
दर्द का एक समुंद्र वहा भी बहता है
जब उसके अंग काट दिए जाते है
और उसकी चुप्पी को लाचारी समझकर
कितनी गाय को युही मार दिया जाता है।
पशु को भी दर्द होता है
यह क्यों नही लोग समझते है
कंचा डालकर डालकर
क्यों उसे तकलीफ पहुचाते है।
वक़्त करवट लेता है
हर कर्म का कर्ज चुकाना पड़ता है
अभी भी वक़्त है संभल जा इंसान
पता नही कल का सूरज किस और अपना रुख बदलता है।