कार्यक्रम start होने से पहले हम खास अथिति का इंतज़ार करते है जिसके आने के बाद ही कार्यक्रम का आगाज़ होता है
तो हम जब तक अथिति अपना स्थान ग्रहण न कर ले तब तक तक आप कुछ ऐसा बोल सकते है।
कुछ ही समय मे कार्यक्रम चालू होने वाला है जब तक आप सब अपना स्थान ग्रहण कर ले ।
हमारे सभा मे उपस्थित सभी अथितिगण का सादर अभिनंदन, हमारे आज के chief guest प्रांगण में पधार चुके है, इनका जोरदार तालियो से स्वागत करे।
उसके बाद आप कार्यक्रम को start कर सकते है। कार्यक्रम के starting में आप एक मुक्तक बोल सकते है और कार्यक्रम का आगाज़ कर सकते है
खिलता है कमल कीचड़ में
तपता है सोना मैदानों में
सूरज को सारथी बना, पसीने के अमृत बहा
मेहनत का टीका लगा, अपने जज़्बे का डमरू बजा
तभी बनेगा तू खिलाड़ी जो पड़ेगा 100 पे भारी
इतना आसान नही होता है खेल
वरना हर कोई बन जाता न तेंडुलकर।
सर्वप्रथम सरस्वती पूजन और दीप प्रज्वलन के लिए में संस्थान के अध्यक्ष….……..,मुख्य अथिति…….. और प्राचार्य को आमंत्रित करती हूं।
झिलमिल सितारे सारे करते आपको वंदन है
पधारे गये अथितियो को हमारा सत सत अभिन्नन्दन है।
कार्यक्रम की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए पधारे गए मुख्य अथिति…… और विद्यालय के प्राचार्य ….को stage पे आमंत्रित करती हूं और अनुरोध करती हूं कि वो ध्वजारोहण करे।
(ध्वजारोहण के बाद)
में पधारे गए अथतिगण, शिक्षकगण और विद्यार्थीयो से निवेदन करती हूं, की वो राष्ट्रगान के लिए अपने अपने स्थान पे खड़े हो जाइए।
खेल इंसान को सशक्त बनाता है, मज़बूत बनाता है, परिस्तिथियों से लड़ना सिखाता है और कामयाबी के तरफ निरंतर बढने की प्रेरणा देता है। इसलिए हमारा प्रयास रहना चाहिए कि हम हमारे बच्चो को किसी न किसी खेल से अवश्य जोड़े ताकि उनका शारीरिक और मानसिक विकास हो सके और देश को एक दिग्गज़ खिलाड़ी हम भी प्रदान कर सके।
अब में प्रधानाध्यापक महोदय से अनुरोध करती हु की वो शपथ ग्रहण समोराह की शुरआत करे।
कहाँ भी जाता है ” एक स्वस्थ शरीर मे ही स्वस्थ मस्तिक का विकास हो पाता है।“
खेल से ना सिर्फ शारीरिक विकास होता है बल्कि सद्गुणों और स्नेहभावना का जन्म भी होता है। शरीर तंदरूस्त रहता है और स्फूर्ति आती है और दिमाग शांत रहता है।
खेल से सामाजिक भावना भी उत्पन्न होती है और देशभक्ति की भावना जागृत होती है।
रंग बिखेरते, थिरकते हुए कार्यक्रम की करे शरुआत है
खूबसूरत शाम का करते आगाज़, आप सबकी तालियों के साथ है।
पुरुष्कार वितरण समारोह
जितने वाले कुछ अलग नही करते है बल्कि वो हर कार्य को अलग तरीके से करते है।
उसी प्रकार जब एक व्यक्ति किसी खेल से जुड़ जाता है तो उसका लक्ष्य सिर्फ जितना न होता है बल्कि उस सब से उठकर देश के लिए कुछ कर गुजरने का होता है। उसका हर प्रयास देश के गौरव के साथ जुड़ा होता है । राष्ट्रीय और देशभक्ति की भावना जन्म लेने लगती है जिससे उसका लक्ष्य को छेदने की क्षमता बढ़ जाती है और मेहनत की गति और बढ़ जाती है और विश्वास और दृढ़ हो जाता है।
After giving awards
खिलता है उपवन जब नई फसले आती है,
और विद्यालय का सीना चौड़ा हो जाता जब जीत के कोई विद्यार्थी वापस विद्यालय आता है
स्वागत में पूरा विद्यालय खड़ा रहता है
टीचर्स भी अपनी खुशी जाहिर करते है
क्योंकि मेहनत को मिलता हमेशा मुकाम है
कोशिशों के आगे झुकता पूरा आसमान है।
धन्यवाद ज्ञापन
अब मे हमारे पधारे गए मुख्य अथिति का विद्यालय की और से, हम विद्यार्थी की और से धन्यवाद ज्ञापन करना चाहूंगी की उन्होने इतने व्यस्त होते हुए भी इस विद्यालय के लिए, हम विद्यार्थियों के लिए वक़्त निकाला और हमे प्रोत्साहित किया और अपने आशीर्वचन रूपी शब्दो से हमे अनुग्रहित किया , इस विद्यालय का प्रांगण हमेशा आपका आभारी रहेंगा।
अंत में चार पंक्तियों से अपनी वाणी को विराम देती हूं और मुख्य अथिति sir को धन्यवाद देती हूं।
सदा न कोयल बोलती, सदा न खिलते फूल
ऐसे अथिति पधारते जब भाग्य हो अनुकुल।