मिल जाते उसे मझधार में मोती,
जिसने गुरु का मार्गदर्शन पाया है
वरना कस्ती डूब जाती गहरे समुंद्र में
क्यूंकि किनारा उसे न किसी ने दिखाया है
यह तो दो वो हाथ है जो हजारों हाथो के बराबर है
कुंभकार की तरह गढ़ दे तो ढल जाते अनेक रूपो में
वरना रह जाते यूंही बंजर
तराश दे इन्हें कोई तो बन जाता है हीरा वरना रह जाता मामूली पत्थर
तभी तो बोझ इनपे कुछ ज्यादा है, पर संकल्प इनका सच्चा है
राष्ट्र निर्माण का दायित्व भी इनके दोनों हाथों में है।
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, समस्त शिक्षक गण, पधारे गए अथितिगण और मेरे सहपाठियों
सर्वप्रथम शिक्षक दिवस की सबको हार्दिक शुभकामनाएं देती हु
A,B,C,D अ, आ, इ, ई हमे सिखाया है
रोते हुए आए थे हम, हमे प्यार से गले लगाया है
सींच सींच कर एक ऐसा पौधा बनाया है
इम्तिहान से हम न डरे इतना मजबूत बनाया है
खिलते रहे हम कमल के भांति चरित्र निर्माण का पाठ हमे पढ़ाया है
परिंदो की तरह खुले आसमान में उड़ने का साहस हमे दिखाया है
एक टीचर का फर्ज आपने बखूभी निभाया है
और इस विद्यालय ने हमें बहुत कुछ सिखाया है।
शिक्षक समाज का दर्पण होता है, शिक्षक वो है जो कुंभकार की तरह अपने विधार्थी को अनेक रूपो।में रूपांतरण करता है क्यूंकि हर विद्यार्थी अलग होता है, सबके अंदर अलग अलग कला का खजाना होता है, कोई पढ़ने में होशियार होता है तो कोई खेलकूद में, किसी को चित्रकला पसंद होती है तो कोई वाद विवाद में माहिर होता है, इन सबको कुंभकार की तरह अनेक रूपो में गढ़ने वाला, हीरे की तरह तराश ने वाला और जोहरी की तरह परखने वाला गुरु होता है, जो खुद जलता है, पर अपने प्रकाश से नई ऊर्जा का निर्माण करता है
एक नन्हे से पौधे में बीज का अंकुरण कर, उसे लगातार सींचता है और उसकी कला को पहचान कर उसे तराशता है जब तक वो पूरी तरह निखर न जाए और फिर एक दिन उसे परिंदे के तरह खुले आसमान में उड़ने के लिए छोड़ देता है और इंतजार करता है उसकी लंबी उड़ान का,
पतझड़ हुए बिना पेड़ो पर नए पत्ते नहीं आते और कठिनाई और संघर्ष सहे बिना अच्छे दिन नहीं आते। इसलिए हम संघर्ष करते रहे तो वो दिन दूर नहीं जिस दिन हमारा संघर्ष हमारी मेहनत सफल होंगी।
कहा भी है एक नन्ही चिटी जब दाना लेकर चलती है
चढ़ती दीवारों पे सौ बार फिसलती है
चढ़कर गिरना, गिरकर बढ़ना न अखरता है
आखिर उसकी कोशिश बेकार नहीं होती
क्यूंकि कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती।
- यदि माता पिता हमे चलना सिखाते है, तो गुरु हमे संभलना सिखाता है।
- यदि माता पिता हमारा पालन पोषण करते है तो गुरु हमे ज्ञान की अनोखी दुनिया दिखाता है।
- यदि माता पिता हमे सपने देखना सिखाते है तो गुरु उन सपनों को हक़ीक़त की तस्वीर पहनाता है।
- यदि माता पिता हमारा सृजन करते है तो गुरु हमे जीने की कला सिखाता है।
- यदि माता पिता संस्कार देते है तो गुरु उन संस्कारो में आत्मविश्वास, ओज और क्रांति का मिश्रण करता है।
- यदि माता पिता हमे संस्कारो की प्रतिछाया में पालते है तो गुरु हमे तराशा हुआ हीरा बनाते है।
और अंत में चार पंक्ति कहकर सभी टीचर्स को इस दिन की हार्दिक बधाइयां देती हु और शुभकामनाएं देती हु ।
जिनके चरणों की धूल से यह जिंदगी जन्नत बनती है
जिनके मार्गदर्शन से जिंदगी की मंज़िल मिलती है
जिनकी खुशी अपने बच्चो के उपलब्धि से होती से
ऐसे माँ, बाप और गुरु के होने से ही जिंदगी की सफ़लता हासिल होती है।
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