खुशिया नग्मे बिखेर रही है
दबे दबे पावो से कुछ कह रही है
आज दिन कुछ खास है
पधारे आज प्रांगण में खास मेहमान है
तालियो के साथ स्वागत कर इनका
क्योंकि यह हमारी महफ़िल की जान है।
माननीय प्रधानाचार्या जी, महोदया जी और पधारे गए अथितिगण का सादर अभिनन्दन
आज इस दिन की सबको हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं और इस गौरवशाली दिन पे अपनी बात रखने के लिए और मुझे मंच प्रदान करने के लिए तहदिल से आपका शुक्रिया करती हूं।
जिस दिन से इस विद्यालय की नींव रखी गयी थी तब से ही शिक्षा का बेहतरीन संचार और व्यावाहारिक परीक्षण का सामंजस्य और अन्य कलाओं को ध्यान में रखा गया है और स्पोर्ट्स को तो विशेष महत्व दिया गया है। ताकि बच्चे जिस क्षेत्र में भी अपनी कला को निखारना चाहिए वो उसमे जा सकते है। इतना ही नही गुरु के सानिध्य में ज्ञान का निरंतर और सतत विकास भी करता रहा है ताकि यहाँ के विद्यार्थी सक्षम नागरिक बन के उभरे। इसलिए यह विद्यालय एक शिक्षित समाज की नींव रखने की पाठशाला है।
में तो इतना ही कहूँगी
हम तो कोरे कागज थे, किनारा आप ने दिखाया
हर एक फूल को पल्वित आपने बनाया
यह सिर्फ पाठशाला नही शिक्षा का मंदिर है
यहाँ हर एक फूल का अपना अलग ही अस्तित्व है।
अब सरस्वती पूजन और दीप प्रज्वलन के लिए में आज के मुख्य अतिथि sir को मंच पे आमंत्रित करती हूं और सब विद्यार्थी से निवेदन करती है कि वो अपने स्थान पे खड़े होकर मुख्य अथिति का तालियों के साथ स्वागत करे।
मुख्य अथिति sir,
क्या तारीफ़ करू में sir आपकी, अल्फ़ाज़ भी कम पड़ जायेंगे
आपकी उपलब्धि को बताने लगी तो सुबह से शाम हो जायेंगी
बस इतना ही कहना चाहुगी-
न हर समुन्द्र में मोती सदा खिलते है
न हर मंज़र में दीप सदा जलते है
पर जिनके खिलने से समस्त उपवन खिल उठे
ऐसे पुष्प उपवन में सदियों बाद ही खिलते है।
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