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आंबेडकर जयंती पर भाषण | Speech on Ambedkar Jayanti in Hindi | भीमराव आंबेडकर पर शायरी

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चित्रण क्या करूँ उनका, जिसका जीवन खुद एक विश्लेषण है
लाखों की भीड़ में बने आज वो पथ प्रदशक है
छुआछूत की बीमारी से जिसने दिलाई मुक्ति थी
आओ मिलकर बनाये बाबा अंबेडकर जी की जयंती है।

यहाँ उपस्थित सभी श्रोतागनो को नमस्कार!!

आज इस जयंती पे में अपने विचार प्रस्तुत करना चाहती हु और ऐसे महान व्यक्तित्व और महान विचारों वाले, भारतीय संविधान के जनक भीमराव आंबेडकर जी को जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।
आज का भाषण ऐसे शख्शियत के बारे में है जिन्होंने अछूत और दलितों के प्रति जो भी भेदभाव समाज मे निरंतर चले जा रहे है, उनके खिलाफ आंदोलन चलाया और समाज मे एक नयी चेतना जाग्रत की और दलितों का मसीहा बनकर इस बीमारी को जड़ से उखाड़ने का काम किया।
भीमराव आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के इंदौर के पास माहू गाँव मे दलित परिवार में हुआ था। वो अपनी माता पिता की 14वी संतान थे। उनकी मृत्यु 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में हुयी।
बचपन से ही उन्होंने समाज की इस विकृति को सहा और उन्होंने समाज की इस विचारधारा को बदलने का मानस बना लिया। क्या कुछ न सहा उन्होंने पर कहते है ना,
अगर संकल्प सच्चा हो और विश्वास पक्का हो तो पर्वत को भी झुकना पड़ता है।

कहा जाता है उस समय दलितों को पढ़ने का अधिकार नही था पर बेटे की जिद और लगन के कारण किसी तरह उनके पिताजी ने उनका स्कूल में दाखिला तो कर दिया पर उन्हें कक्षा में आने की अनुमति नही थी। वो कक्षा के बाहर बैठकर ही अपनी शिक्षा को ग्रहण करते थे । एक बार अध्यापक ने उन्हें बोर्ड पे एक प्रश्न हल करने को कहा तो सब बच्चे एकाकक खड़े हो गए और बोर्ड के पास पड़े अपने टिफ़िन बॉक्स को हटाने लगे और कहने लगे इस अछूत की परछाई हमारे टिफ़िन बॉक्स पे पड़ गयी तो हमारा खाना भी अशुद्ध हो जाएगा। उन्होंने प्रश्न तो हल कर दिया पर इस समस्या ने उन्हें अंदर तक जकोड़ के रख दिया।

ऐसी विचारधारा ऐसी मान्यता जहाँ दलितों की परछाई भी नही पड़नी चाहिए, हाथ लगाना तो बहुत दूर की बात है। एक बार उन्होंने कुआं का पानी क्या पी लिया, उन्हें इतनी मार खानी पड़ी, यह कहा का इंसाफ था।

ऐसी बहुत सी घटनाएं जिसने अंबेडकर जी के संकल्प को और दृढ किया और छुआछूत भी उनका कुछ न बिगाड़ सका।

उन्होंने अपनी पढ़ाई नही छोड़ी, 32 डिग्री जिन्होंने हासिल की और नो भाषाओं का जो जानकार था
ऐसे महान व्यक्तित्व को वंदन बारंबार है।

बाबा साहेब ने 2 साल 11 महीने और 18 दिन में भारत का संविधान लिख डाला जो पूरे विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान बना।

14 नवम्बर 1956 को 5 लाख लाख लोगों के साथ उन्होंने नागपुर में बौद्ध धर्म में दीक्षा ली और 6 दिसंबर 1956 में उन्होंने निर्वाण प्राप्त किया।

अछूत, दलित, हीन जाती वाले
पता नही किन किन शब्दो से मुझे बुलाते है
स्वांग रचाने वाले वो
तुम क्यों प्रश्नचिन्ह लगाते हो।

अगर उच्च जाति का हु तो मिलता सम्मान है
और नीच जाती का हु तो होता तिरस्कार है
छुआछूत, भेदभाव जैसे कानून
तुम क्यों खुद ही बना लेते हो।

नज़रिया बदलो
हम सब एक है
अलग अलग ढांचे में डाल दिये गए है
पर उसके मंदिर में आज भी एक समान है।

भीमराव आंबेडकर पर शायरी | Quotes on Bhimrao Ambedkar | Dr BR Ambedkar Quotes in Hindi

दलितों के मसीहा बनकर इस बीमारी को जिसने जड़ से मिटाया था
कुआं से भी पानी पीने का अधिकार जिसने दिलाया था
खुद झुझते रहे पर बुलंद आवाज़ जिसने उठायी थी
वो उगता सूरज ही था जिन्होंने इस समस्या से हमेशा के लिए मुक्ति दिलायी थी।

चित्रण क्या करूँ उनका, जिसका जीवन खुद एक विश्लेषण है
लाखों की भीड़ में बने आज वो पथ प्रदशक है
छुआछूत की बीमारी से जिसने दिलाई मुक्ति थी
आओ मिलकर बनाये बाबा अंबेडकर जी की जयंती है।

कोशिश तो हर कोई करता है
पर सफ़लता पाता कोई कोई है
इतिहास तो सब पढ़ते है पर
इतिहास बनाता कोई कोई है
एक रास्ते तो सब चलते आते है
पर रास्ते को बदल पाता कोई कोई है
समस्या तो सभी झेलते आते है
पर समस्या पे विराम चिन्ह लगाता कोई कोई है
संसार मे हर क्षण जन्म लेते हज़ारो लोग है
पर इतिहास में नाम दर्ज कर पाता कोई कोई है।

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2 thoughts on “आंबेडकर जयंती पर भाषण | Speech on Ambedkar Jayanti in Hindi | भीमराव आंबेडकर पर शायरी”

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