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Essay on Vyavsayik Prashikshan

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व्यावसायिक प्रशिक्षण पर निबंध
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Essay on Vyavsayik Prashikshan
 

शिक्षा जीवन का सार है
पर व्यावसायिक प्रशिक्षण जीवन का आधार है
शिक्षा देती रोज़गार है
पर बिना व्यावसायिक प्रशिक्षण के फिर रहे कितने बेरोजगार है
शिक्षा जीवन को उन्नत बनाने का माध्यम है
पर उन्नति के हर रास्ते का मापक तो व्यावसायिक प्रशिक्षण है
सिर्फ डिग्री भर लेने से कुछ नही होता है
बिना व्यवहारिक ज्ञान के शिक्षा भी हुई बेकार है।

” प्रयास से बनता विश्वास, विश्वास से जुड़ते कामयाबी के तार और इसी कामयाबी से इंसान में होता काबिलयत का आगाज़ है।”

जी हां व्यावसायिक प्रशिक्षण ऐसी ही है जहा इंसान हरदम प्रयास करता रहता है और अपने अनुभव के आधार पे अपने काम मे नए तोर तरीका लाता है और अपने विश्वास से कामयाबी का रास्ता पकड़ ही लेता है।

 व्यावसायिक प्रशिक्षण को हम जनरल नॉलेज या प्रैक्टिकल ज्ञान भी कह सकते है।  व्यावसायिक प्रशिक्षण वो है जिसमे  भरा सामान्य ज्ञान है, जो 
इंसान को देती रोजी रोटी कमाने का विज्ञान है। उदाहरण के तौर पे एक

बिजनेसमैन है उसकी यही इच्छा होती है की उसका बेटा भी उसके बिज़नेस को आगे बढाये और इसी में वो लग जाये। तभी तो वो बिजनेसमैन अपने बेटे को शिक्षा के साथ बिज़नेस करने के तौर तरीके भी सीखा देता है 
ताकि अगर वो अपनी शिक्षा किन्ही कारणों से पूरी न कर पाए तो वो अपने ही बिज़नेस को आगे बढ़ा सकता है। यही व्यावसायिक प्रशिक्षण है जो कही मायनो में शिक्षा से भी ज्यादा महत्व रखती है। 

आपने देखा होगा की कुम्भकार कितनी बारीकी से एक घड़ा का निर्माण करता है और उसकी पीढ़ी दर इस काम में होशियार होती है क्यूंकि वो अपना अनुभव से अपने पीढ़ी को उसकी हर बारीकी समझाकर उसे और भी अव्वल बनातीहै। 

मेरा प्रतिपक्षी इस बात पे कोई जोर दे रहे है कि शिक्षा है तो समाज का भविष्य उज्जवल है उससे में यही कहना चाहूंगी की बिना व्यावसायिक प्रशिक्षण का भी शिक्षा का मूल्य का शून्य है।  

क्यूंकि बिना किसी प्रैक्टिकल नॉलेज के बिना किसी की क्षेत्र में तरक़्क़ी नहीं कर सकते।  आप शिक्षा की बात करते है पर आपको पता है जब शिक्षा नहीं थी तभी भी बड़े बड़े आविष्कार हुए थे। 

आज हमारे पास डॉक्टर्स है, बड़ी बड़ी मशीन है, शिक्षा का क्षेत्र व्यापक है पर आप भूल गए जब डॉक्टर्स नहीं थे तब भी माँ अपने बच्चे को जन्म देती थी तब थी दायी माँ हुआ करती थी और वो सिर्फ हाथ की नफ़्ज़ पकड़कर 
अनुमान लगा लेती है, क्या वो शिक्षित है पर उनका अनुभव इतना ज्यादा था की उसमे सामने शिक्षा भी छोटी दिखाई पड़ती है। यह छोडिये आप 
राजा के किसी महल में जाकर देखिए या ताजमहल भारत देश की धरोहर 
को देख लीजिये उसका कारीगर क्या शिक्षित था, जी नहीं उसका अनुभव ही था। 


 मेरी प्रतिपक्षी कहते है अगर जिंदगी में सफलता पाना है तो शिक्षित होना आवश्यक है पर में उनसे पूछना चाहती हु की स्टीव जॉब्स,बिल गेट्स, मार्क ज़ुकेरबर्ग क्या उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की थी, नही फिर वो कैसे दुनिया के अमीर लोगो की लिस्ट में उनका नाम कैसा आया,क्योंकि उनकी असली शिक्षा अनुभव ही थी। 


आप थॉमस एडिसन का ही उदाहरण ले लीजिए जिसने बल्ब का आविष्कार किया था। उसकी सफलता का कारण उसका अनुभव और और उसका धैर्य था और अपनी हार को जीत तक पहुचाने की ललक थी। तो इसमें स्कूली शिक्षा कहा थी।


शिक्षा अगर उन्नति का माध्यम है पर उन्नति में खरे उतरने का श्रेय व्यावसायिक प्रशिक्षण को ही जाता है।

 अतः व्यावसायिक प्रशिक्षणआत्मनिर्भर बनने की कला है जो रोज़गार बन आमदनी प्रदान कर  सुखद जीवन जीने का माध्यम है। इसलिए आप ही बताए क्या व्यावसायिक प्रशिक्षण बिना शिक्षा का कोई मूल्य है, क्या  
 व्यावसायिक प्रशिक्षण शिक्षा का अभिन्न अंग नही है, क्या बिना  
 व्यावसायिक प्रशिक्षण के शिक्षा उज्ज्वल भविष्य का सपना साकार कर सकती है क्या?

इतना ही कहकर अपनी वाणी को विराम देना चाहुगी—

“सफलता नही छुपी होती किताबो के रंगीन पन्नो में, वो छुपी होती है इंसान के विकसित सोच में, उनके व्यक्तितव में और उनके जीने की कला में।”

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