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Inspirational stories in Hindi

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Inspirational story in Hindi | Motivational Story in Hindi | एक कहानी जो बदलेगी सोच

एक बार एक दस वर्ष की बेटी ने अपने पापा से कहा ——
पापा क्या आप मेरे लिए ऊँची ऐड़ी के सेंडल ला दोंगे
पापा ने उसके सर पे हाथ फेरा और कहा बेटी तुम ऊँची ऐड़ी के सेंडल पहन कर गिर जाओगी।


पर बेटी ने जिद्द पकड़ ली पापा मुझे ऊँची ऐड़ी के सेंडल चाहिए तो चाहिए। पापा उसे लेकर एक जूते कीदुकान पर गये और दुकानदार से कहा भाई ऊँची ऐडी के सैंडल भी देखा दो न।दुकानदार ने पूछा क्या बात है,वैसे आपकी पत्नी कीचप्पल की साइज क्या है।


उसने कहा पत्नी के लिए नही, बेटी केलिए चाहिए भाई, सुबह से जिद्द पकड़ी है ऊँची ऐडी के सैंडल चाहिए।दुकानदार थोड़ा सकपकाया, उसने तीन ऊँची ऐडी के सैंडल निकालकर बेटी को दिखाए।बेटी ने तीनो में से सबसेऊँची ऐडी थी वो सैंडल पसंद किए।पापा उसे लेकर घर आ गए।
फिर उसने ऊँची ऐडी के सैंडल पहनकर आयने में खुद को निहारा,
और बहुत खुश हुयी।तभी उसका पैर पिसला और वो धड़ाम से नीचे गिर गयी।उसके रोने की आवाज़ सुन उसकेपापा आ गए और उसको
बेड पे लिटाया और उसे मरहम लगायी।पर वो बहुत उदास हो गयी तब
पापा ने उसे गोदी में सुलाया और बड़े प्यार से पूछाबेटी!! तुम क्यों उदास हो??कोनसी बात है जो तुम्हें परेशान कर रही है।

तो बेटी ने बड़े प्यार से जवाब दिया पापा पापा अब में लंबी कैसे दिखूंगी।
पता है पापा, मुझे स्कूल में सब मुझे बोना कहकर चिढ़ाते है, पापा पापा मेरा कद छोटा है तो इसमें मेरा क्या कसूर है।
पापा ने कहा बस बेटा इतनी सी बात, पापा ने आगे कहा बेटा तुम जैसी हो बहुत प्यारी हो और आज तुमपे हस रहे है देखना वो ही कल तुमपे नाज़ करेंगे।

पापा ने आगे कहा हमे बनाने वाले वो है, और उसने हमे बड़ी ही खूबसूरती से एक सांचे में डालकर, नए रंगो में भिगोकर एक नया रूप देकर तैयार किया है। और जो हमपे ऊँगली उठा रहे है, हमपे हस रहे है न वो उस खुदा पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे है, इसलिए तू निराश न हो बेटी।

अगले दिन जब स्कूल में सहपाठी उसे बोना कहकर चिढ़ाते तो वो हस देती और कहती भगवान का रचाया स्वांग है और सहपाठी चुपचाप आगे निकल जाते। एक दिन जब स्कूल का एक अध्यापक स्टोर रूम में कैद हो गया तब उसकी चतुराई की वजह से वो बाहर निकल पाया। उसे स्कूल की और से बहादुर लड़की के अवार्ड से सम्मानित किया गया और जो उसे कल चिढ़ाते थे आज उनके मुँह पे टेप लग गयी थी और वो उसपे नाज़ कर रहे थे।

यह तो मात्र एक उदाहारण था –

काली, कुब्जी, बोनी, ठिंगनी, माथी, लाठी
पता नहीं किन किन शब्दो से मुझे बुलाते है
स्वांग रचाने वाले वो
तुम क्यों प्रश्नचिन्ह लगाते हो।

क्या गोरी हु तू सुन्दर हु
काली हु तो बदसूरत हु
किसी की सुंदरता का आंकलन
तुम क्यों खुद ही कर जाते हो।

नजरिया बदलो
हम सब एक ही है
अलग अलग ढांचे में डाल दिए गए है
पर उसके मंदिर में आज भी एक समान है।

Short Motivational Story on LIFE | We Are Not Happy Why-हम खुश क्यों नहीं है

कभी कभी जिंदगी ऐसे मोड़ पे ले आती है जब हमारे पास सुख सुविधाओं के सारे संसाधन होते है फिर भी हम यह सोचने को मजबूर हो जाते है की हम खुश क्यों नहीं है !!!!

We Are Not Happy Why, Hindi Kahani
We Are Not Happy Why

जिंदगी ने अमित को सब विरासत में ही दे दिया था। शोहरत और रुतबा उसके आगे पानी भरते थे। पर उसकी जिंदगी और मशीन की जिंदगी में कोई ज्यादा फ़र्क़ नहीं था। आज अमित गूगल पे ढूंढ रहा था की कितने व्यक्ति दुनिया में वास्तव में खुश है। आज उसका मन बहुत उदास था। काम करने में मन नहीं लग रहा था। उसने देखा दुनिया में ७२ % व्यक्ति किसी न किसी कारण से खुश है पर उसे अफ़सोस  भी था क्यूंकि उन ७२ % में वो शामिल नहीं था। आज वो सुबह से चार कप चाय पि चूका था। उसने फिर चपरासी से चाय मंगाई। जैसे ही वो चाय का कप मेज पर रख कर जा रहा था तो उसने भोला कहकर आवाज लगाई। भोला ने हॅसते हुए पूछा जी साहब !! तब अमित ने भोला से पूछा ? भोला एक बात बताओ तुम्हारे इस चेहरे पे छायी हुई मुस्कराहट का क्या कारण है !! जितनी बार भी तुम मेरे केबिन में आते हो तुम्हारे चेहरे पे वो ही चमक रहती है कैसे ??
आज वक़्त ने मुझे सब दिया है नाम , शोहरत , रुतबा पर मेरे चेहरे पे यह मुस्कराहट नहीं है। मुझे तो यह भी मालूम नहीं है की कब आखरी बार में हँसा था।  क्या है तुम्हारे पास ऐसा मुझे भी दे दो। उचित दाम भी दे दुगा।

तब भोला हस पड़ा। उसने कहा साहब ख़ुशी बिकने की चीज़ नहीं है जो आप खरीद सको। ख़ुशी एक महक की तरह है जो पुरे वातावरण को महका देती है। भले ही मेरे पास नाम और रुतबा नहीं है पर में खुश हु। जो मिला उसमे ही ख़ुशी ढूंढ़ लेता हु।  यही मेरी मुस्कराहट का कारण है।

साहब आपको पता है हम घड़ियाल की तरह खुशियों को निगल रहे है। हम आगे बढ़ने की होड़ में कितने को पछाड़ रहे है। हमे पता है हमारे पास सब कुछ है हम फिर भी दुसरो की तरक्की से जल रहे है। कभी कभी तो हम अपने क्रोध में रिश्तो को भी छोड़ देते है।  हम दुसरो को बहुत कुछ सुनाते है पर खुदके अंदर झाकने का वक़्त ही नहीं होता हमारे पास। हम हुकम चलाते है पर प्यार से अपने छोटे बात करने से घबराते है। A .C  में घंटो बैठे रहते है पर खुली हवा में सांस लेने से कतराते है। बड़ी बड़ी बातें करते है पर किसी का सहारा भी नहीं बनते है।

साहब खुश रहना है तो बंद दरवाजे और बंद खिड़किया खोल दो। रिश्तो को सम्मान दो , जीने का स्वाभिमान दो। सबको प्यार दो। सबकी मदद करो।  अहम को छोड़ दो। किसी का तिरस्कार मत करो। सबकी जुब्बा पे एक ही नाम हो अमित सर अमित सर !! ऐसा इंसान बनो।

आज अमित ने अपने कार की सारी खिड़किया खोल दी और बारिश की बुँदे ख़ुशी से उस पर गिर रही थी। अब अमित उन ७२ % लोगो में था जो वास्तव में खुश थे। अब उसका सम्मान और बढ़ गया था और सारे कर्मचारी अमित सर अमित सर !! कहते हुए भी नहीं थकते थे।

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