We Humans |
सूरत के एक काम्प्लेक्स की दमखल दीवारों से चीत्कारे सुनाई देती और हम इंसान उसका लाइव वीडियो बना रहे होते है … हम इंसान भी कितने अजीब है न
एक रोड़ एक्सीडेंट हो जाता है और पूरी कार ट्रेक्टर की चपेट में आ जाती है हम चुपचाप वहासे निकल जाते है हम इंसान भी कितने अजीब है न …..
हमारे ही आंख के सामने कोई किसी को बेहरमी से पीटता है और आवाज तो उठानी दूर हम उसका तमाशा देख रहे होते है हम इंसान भी ………..
मंदिरो में पत्थर की मूर्ति को पूजते है और घर में साक्षात् ममता की मूरत का भी अपमान कर देते है हम इंसान भी …….
यू तो हम किसी गरीब की मदद नहीं करते पर दिखावा के लिए लाखों का दान देते है हम इंसान भी ………
अपने बहु को दिन भर ताने मारने से ऊपर नहीं आते है लेकिन दुनिया के सामने मेरी बहु मेरी बहु कहते हुए नहीं थकते है हम इंसान भी ……..
हम खूब से ऐश्वर्य से भरे होते है लेकिन दूसरे को देख जलते है हम इंसान भी …..
अच्छा हम बहुत मीठे देखते है
और पीठ पीछे रोते है हम इंसान भी ….
कोई हमारी बात अनसुनी कर दे तो हम राइ का भी पहाड़ बना लेते है
हम इंसान …..
हम दूसरी की गलती तो खोज लेते है परअपने गरीबां में नहीं झाकते हम इंसान भी …..
हम ऐसे क्यों है ??
हम इंसान ऐसे ही है ……विचित्र स्वभाव वाले प्राणी है !!! ऊंची ऊंची ढेंगे मारते है पर हमे तो प्यार निभाना भी नहीं आता!! हम क्या है ?? हम ऐसे क्यों है ???
क्या वास्तव में हममें इंसानियत है ?? क्या हम मानवता के पुजारी है ?? किस भेष में जी रहे है ? क्यों जी रहे है ?? किस और भाग रहे है जाना किस और है !!
नासमझ है जिंदगी की तस्वीर को समझ नहीं पाए रहे है
जो पिसल रही रेत की तरह है …
हमे कैसा होना चाइए ??
उड़ते हुए परिंदों की तरह जहा चारो और बसेरा हो.. कोई झुक रह तो बन जाये उसका सहारा हो.. खुद के लिए नहीं एक बार किसी के लिए जी कर देखो.. बंद खिड़की को खोल द्धार पे खड़े प्यासे को पानी पिला के तो देखो …जिंदगी मुस्कुराने लगेगी अगर इंसान एक बार इस रंगमंच में हनुमान श्रवण जैसे किरदार निभाने लगेंगे।