सौंदर्य बिखेरती जहाँ धरती है
धरती का हर कण जहाँ निखरता है
संस्कृति और सभ्यता जहाँ जन्म लेती है
मेरा देश गाँवों में ही बसता है।
सर्वप्रथम धरती माँ को कोटि-कोटि सा नमन करती हूँ और संविधान के जनक डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी के चरणों में वंदन करती हूँ।
और लोकतंत्र के इस पावन मंच पर पधारे गए सभी अनुभवी बुज़ुर्गों को, हमारी देश की नींव रखने वाली नारी शक्ति को, ऊर्जा से भरे हमारे युवाओं को और रचनात्मकता से भरी हमारी कल की भावी पीढ़ी को अभिनंदन करती हूँ। । आप सब के हंसते चेहरे मुझमें एक नई ऊर्जा का संचार करते हैं। मेरा गांव खुशहाल रहे, तरक्की करता रहे और आगे बढ़े, यही एक सपना लेकर आप सब के बीच में आई हु और मेरी कोशिश हमेशा यही रहेगी कि मैं सब की उम्मीदों पर खरा उतरूँ और तन, धन, मन से लोकतंत्र को समर्पित हो जाऊँ।
मैं यहाँ बैठे सभी दिग्गज और अनुभवी नेताओं के चरणों में वंदन करती हूँ और आप सब का मार्गदर्शन मिलता रहे, और हम सब का गांव आगे बढ़े इसी आशा के साथ अपनी बात रखती हूँ।
मुझे अंबेडकर जी की वो पंक्ति याद आती है कि मैं एक ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है। अर्थात इस लोकतंत्र जो लोगों की, लोगों के द्वारा और लोगों के लिए है, उस लोकतंत्र के पावन मंच पर आज मैं प्रण लेती हूँ कि मैं जो भी कार्य करूँगी, गाँव की सुरक्षा का ढाल बनेगा, आने वाली पीढ़ी के लिए मिसाल बनेगा और मशाल जलेगी जरूर, मगर पापियों के सर्वनाश के लिए, बहन-बेटियों पर पे बुरी नजर डालने वालों के खिलाफ और बुराई को मिटाने के लिए। यह गाँव मेरी कर्मभूमि है और इस गाँव की मिट्टी पे कोई भी कालिमा थोपने की कोशिश करेगा तो उसे लोकतंत्र की सबसे मजबूत दीवारों से निपटना होगा।
सियासत के पैंतरे को समझकर कर जो अपना कदम उठाता है
न्याय की लड़ाई में विरोधियों के खिलाफ बगावत पर उतर आता है
लोकतंत्र को डसने वाले अजगर को बिलों से बाहर खदेड़ लाता है
जनता का नायक वही ही कहलाता है।
मैंने एक माली बनकर इस उपवन की सुरक्षा और संरक्षा का बीड़ा उठाया है, तो यहाँ उन पुराने पेड़ों की जड़ समान हमारे बुज़ुर्गों ने अपने अनुभव से गाँव को समृद्ध बनाने के लिए अपने सुझाव दिए हैं, जिन्हें हमारी युवा पीढ़ीउसे तकनीकी का प्रयोग कर और विकसित करने का प्रयास कर रही है, जो हमारे गाँव के लिए आने वाले कुछ सालों में मील का पत्थर साबित होंगी। वाकई, आप सब का प्रयास सराहनीय है, और जितनी प्रशंसा करूँ, उतनी कम है।
आओ मिलकर एक ऐसा गाँव बनाते हैं
खुशहाली करे बसेरा ऐसा मिसाल बनाते हैं
सब मिलकर प्रयास करते हैं
आओ मेहनत और पसीने से एक नए गाँव का निर्माण करते हैं।
एक सच्चा राजनेता वो होता है
जो बुझते दीपक में रोशनी की लौ जला देता है
धरती से अम्बर की दूरी को मिटा देता है
जो अपने गाँव को समृद्ध बनाने में ऐसा लीन हो जाता है
और मिट्टी का सृजन कर गाँव को उन्नति, समृद्धि और आधुनिक परिवेश में सभ्यता का ताज पहनाता है।
अंत में इतना ही कहकर इस मंच से विदा लेना चाहूँगी।
मेरी कोशिश रहेगी कि काँटों में फूल खिला सकूँ
पतझड़ के मौसम में बहार ला सकूँ
चेहरों पर मुस्कान ला सकूँ
उम्मीदों का नया आसमान बना सकूँ
और एक कुशल राजनेता बन
हमारे गाँव को उन्नति के हर शिखर पर पहुंचा सकूँ।
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