यह आजादी जिसके लहू से होकर निकली है
मिट्टी में उसकी कफ़न की कुछ बूंदे आज भी बाकी है
झूल गए थे जो फांसी के फंदे पे हंसते हंसते
इंकलाब जिंदाबाद की वो गूंज बाकी है।
७८ स्वंत्रता दिवस की सबको हार्दिक शुभकामनाएं देती हु और इस गौरवशाली दिन पे मुझे मंच प्रदान करने के लिए तहे दिल से विद्यालय परिवार का धन्यवाद अर्पित करती हु।
वतन की मिट्टी को जब मैंने छुआ तो एक ऐसा सैलाब उठा की पूरा हिंदुस्तान पराधीनता की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था, उस पराधीनता और आजादी के बीच का फासला तुम्हे सुनाती हु और आंखों में आंसू आ जाए तो शहीदों को अर्पित कर देना ऐसी शहीदों की वीर गाथा सुनाती हु।
वो चीत्कार, वो खामोशी, वो लाशे, वो अत्याचार की दासता, वो पराधीनता की बेड़ियां, वो फंदे पे झूलती क्रांतिकारियों की वो तोलिया, वो जैल में कैद रूखी सुखी रोटियां, पानी को तरसती कैद की वो बेड़ियां, वो बंदूकों से निकलने वाली सीना छलनी करने वाली गोलियां, वो आसमानों की खामोशी और गंगा मया की बरसती आंखें,
कितना झेला है तब जाकर अपने ही हिंदुस्तान में परिंदो की तरह उड़ पाए है
अपनी ही जमी पर सिर उठाकर चल पाए है
अपनी शान शोकत को सांख पर रख जीते थे कभी
शहीदों के बलिदान से आज पराधीनता की बेड़ियां तोड़ पाए है।
वतन की मिट्टी को भर हाथो में,
सौगंध भगत ने उस दिन खाई थी
जिस दिन जलियांवाला बाग में
जनरल डायर ने गोलियां चलाई थी
आज हम आजाद हो गए है, पराधीनता की बेड़ियों से मुक्त हो गए है, पर अभी भी देश को आजाद होना बाकी है भ्रष्टाचार से, बेरोज़गारी से, बाल विवाह से, शोषण से, जात पात के भेदभाव से जब तक यह तत्व भारत की जड़ो से हम पूरी तरह उखाड़ न दे जब तक सही रूप में हम स्वतंत्र नहीं हो सकते।
कहा भी है
महज़ब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिंद है हम, यह हिंदुस्तान हमारा यह गुलशिता हमारा।
भारत आज छूता नित नई ऊंचाइयों को
धरती की गहराई को
मिलो की लंबाई को
शिक्षा की नई दीवारों को
तरक्की की नई राहों को।
आज आर्टिकल ३७० खत्म कर भारत ने नया इतिहास रचा है, नालंदा विश्वविद्यालय का भी उद्घाटन किया है पर आज भी भ्रष्टाचार, बेरोजगारी पसार रही अपन पाव है, जातिवाद के नाम पर हो रहे कितने दंगे है और तो आज भी आंतकवादी नित नए हमले कर डर और कोहराम मचा रहे है, हाल की बात करे वो पुलवामा हमले जिसमें हमने ४० वीर सैनिको को खो दिया,
उस दिन बारूद से निकलती हुई आग की लपटों में, और चीरकर रखने वाली आसमान की खामोशी में और दुश्मनों के इरादों में और सिसकिया लेती उन जिंदगी में जी जो वतन की मिट्टी में मिल कफ़न शहीद कहलाएंगी एक ही आवाज आई है, इंकलाब जिंदाबाद की गूंज से धरती गूंजी थी।
अम्बर नदिया,समुद्र सारे वतन की मिट्टी को इस कदर संभाले थे
कतरा कतरा भी न गिर पाए कही, ये देश के रखवाले थे।
आज में। सभी उन सैनिको को सैल्यूट करती हु जो सरहदों पर सीना तान के खड़े है ताकि शांति अमन से जी सके इसलिए , अंतिम पंक्तियां उन वीर सैनिको को समर्पित करती हु और भारत के इन वीर सपूतों को पूरे देश की और से वंदन करती हु।
खड़े है वो सरहदों पर, ताकि हम घरों में दीप जला सके दीपावली का
सियाचिन की पहाड़ियों पर भारत मां की वो सौगंध बाकी है
यह तो मात्र कुछ क्रांतिकारी है
शेष अभी बाकी है।
Must Read:-
Independence Day Script in Hindi
Independence Day Speech In Hindi
If you want to gift your dear ones the art of beautiful words, personalized poetry, videos and make the day more memorable, you can message me on my Insta Id..link is below
https://www.instagram.com/nrhindisecretdiary?igsh=MTdydnk5ZW5qZjF4YQ==
Pingback: Desh bhakti kavita in Hindi | शहीद पर कविता | Kavita on 15 august in Hindi - NR HINDI SECRET DIARY
Comments are closed.