सफलता नही छुपी होती किताबो के रंगीन पन्नो में, वो छुपी होती है इंसान के विकसित सोच में, उनके व्यक्तितव में और उनके जीने की कला में।”
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, समस्त शिक्षकगण, जज महोदय, प्रश्नतोरी प्रतियोगिता के प्रतिभागी और मेरे प्यारे सहपाठियो।
में जीनल कक्षा 11 की छात्रा आज इस कार्यक्रम को होस्ट करने जा रही हु।
सर्वप्रथम सरस्वती पूजन और दीप प्रजवल्लन के लिए में प्रिंसिपल mam, मुख्य अथिति sir को स्टेज पे आमंत्रित करती हु।
दीप प्रज्वलित हुए, हुआ नया सवेरा है
विद्यालय का प्रांगण रोशनी से हुआ उजयारा है
झिलमिल सितारे सारे करते आपको वंदन है
पधारे गए अथिति को मेरा सत सत अभिन्नन्दन है।
अब में शीला mam से रिक्वेस्ट करती हु की वो निर्यणायक के रूप में अपना स्थान ग्रहण करे।
अब में नवीन sir से रिक्वेस्ट करती हु की नियम संबंधी फाइल की जानकारी शीला mam को दे।
आशाओं के दीप जलाकर
एक नई उम्मीद लेकर आई हु
प्रतिभागियों पे
सवालों की बौछार लेकर आई हु
ज्ञान का अवलोकन कर
आत्मविश्वास को जगाने आई हु
हाथ में ताज लेकर
इस कार्यकर्म में चार चांद लगाने आई हु।
So let’s put your all hands together and welcome on stage participants of shivaji house, tagore house,Ashoka house and Raman house.
रंग बिखेरती किरणे है
आगोश में लिए सपने हज़ार है
इस प्रोग्राम में रंग बिखेरने
सितारों ने लगाया अपना दरबार है
बस इतना सा एतबार है
निवेदन बारंबार है
तालियों में न करे कंजूसी
इस महफ़िल को आपकी तालियों का अब इंतज़ार है।
AFTER FINISH OF QUIZ
अब में प्रिंसिपल mam से रिक्वेस्ट करती हु की दो शब्द कहकर हमे अनुग्रहित करे।
सारे फूल आपसे है
यह खिलता हुआ बगीचा भी आपसे है
हम सबके दिलो में बसने वाली हमारी प्यारी प्रिंसिपल mam,
यह विद्यालय की शोभा और यह विद्यालय भी आपसे ही है।
अब में आज के इस कार्यक्रम के मुख्य अथिति sir से रिक्वेस्ट करती हु की वो शब्द कहे।
सुबह की किरणें प्रस्फुटित होता जैसे आकाश है
वैसे ही आपके आगमन से विद्यालय में फैला नया प्रकाश है
अल्फ़ाज़ तो नही है मेरे पास अब कहने को
पर आप जैसे अथिति जिस प्रांगण में पधारे हो
उस कार्यक्रम में लग जाते चार चांद है।
अब में परिणामों की घोषणा करने के लिए नवीन sir को मंच पे आमंत्रित करती हु।
तारो ने खुशिया बिखेरी
सितारों ने महफ़िल लगाई है
आपके सफ़लता में तो
हम सबकी और से आपको ढेर सारी बधाइयाँ हो।
अब मे हमारे पधारे गए मुख्य अथिति का विद्यालय की और से, हम विद्यार्थी की और से धन्यवाद ज्ञापन करना चाहूंगी की उन्होने इतने व्यस्त होते हुए भी इस विद्यालय के लिए, हम विद्यार्थियों के लिए वक़्त निकाला और हमे प्रोत्साहित किया और अपने आशीर्वचन रूपी शब्दो से हमे अनुग्रहित किया , इस विद्यालय का प्रांगण हमेशा आपका आभारी रहेंगा।
अंत में चार पंक्तियों से अपनी वाणी को विराम देती हूं और मुख्य अथिति sir को धन्यवाद देती हूं।
जिंदगी एक चाह है,
हर चाह की एक राह है
हर राह का एक उद्देश्य है
हर उद्देश्य की एक मंज़िल है
हर मंज़िल के पीछे छिपी कामयाबी है
और हर कामयाबी के पीछे बसी है
बस वो है मेहनत।
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