न हर समुंद्र में मोती सदा खिलते है
न हर मंजर में दीप सदा जलते है
पर जिनके खिलने से समस्त उपवन महक उठे
इसे पुष्प उपवन में सदियों बाद ही खिलते है।
सम्मानित मंच, समस्त स्टाफ गण और मेरे प्यारे सहपाठियो
जैसा कि हम सब जानते है की आज रश्मि जी का विदाई समोराह है, जिसके लिए हम सब यहां एकत्रित हुए है।
सबसे पहले रश्मि जी का परिचय देना चाहूंगी, रश्मि जी वो कड़ी है जिसने पूरे कार्यालय को जोड़ रखा है, एक धागे में जैसे मोती पिरोए जाते है, वैसे ही रश्मि जी हम सबको एक ही सूत्र में बांधे रखा, समय पर आना और घर और ऑफिस के बीच तालमेल बनाना कोई इनसे सीखे। ५ बजे उठकर घर के काम निपटाकर ९ बजे ऑफिस की कुर्सी पर बैठकर फाइलों में खो जाना, नियमानुसार काम करना और अपने आदर्शों पे चलते रहना और अपनी सुझभूज से मुश्किल से मुश्किल परेशानियों को मिनटों में सुलझाना।
आपके बारे में जितना भी कहूं, उतना कम है, इस ऑफिस की सबसे पुरानी और सबसे मजबूत नींव हो आप, हम सबकी प्रेरणा हो आप, हम सबका गुरुर, अभिमान हो आप, इस ऑफिस के लिए क्या कुछ नही हो आप।
आज इस विदाई समोरह में इतना ही कहना चाहूंगी, जिंदगी के वो आने वाले अनमोल पल खुशी से बीते, पोता,पोती, दोयता, दोयती का प्यार मिले, बच्चो का स्नेह और साथ मिले ,
बस यही शुभकामनाएं देते हुए दो पंक्तियां कहकर अपनी वाणी को विराम देती और रिटायरमेंट की ढेरो बधाईयां देती हु।
आसमा में जितने चांद सितारे हो
खुशियां मिले आपको सारी हो
बच्चो से ढेर सारा प्यार मिले
इस विदाई समोराह में बस यही दुआ हमारी हो |
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