कुछ फूल बड़े अजीज होते है और कुछ लोग बड़े खास होते है, जिनके आने से पूरा उपवन महक जाता है, इसे फूल और इसे लोग से आज रूबरू कराते है, फूलो के समान जो हर और महका जाते है, आज इस प्रांगण में इसे ही शख्शियत से रूबरू करवाते है।
सम्मानित मंच, पधारे गए अथितिगण और मेरे सहपाठीयो
तारीफ में क्या कहूं
वो तो पूरा फूलो का गुलदस्ता है
जड़ की तरह हमे किया मजबूत है
फूलो से महकाया ऑफिस का प्रांगण है।
जैसा कि हम सब जानते है, की आज युजूर्वेंद sir का रिटायरमेंट समोरह है, जिसके लिए हम सब यहा एकत्रित हुए है, यह सिर्फ एक विदाई समोराह नही है, बल्कि उन अद्भुत पलों का एहसास है, वक्त वक्त पर पढ़ी डांट और भय की झंकार है और उन अनोखी यादों का पिटारा है जिससे यह ऑफिस की चारदीवारी विधिवत चलती रही है।
Sir के बारे में क्या कहूं जितना कठोर इनका स्वभाव है, उतना ही निर्मल इनका मन है, सबको साथ लेकर चलना, हर कार्य में सबकी राय लेना और सबका सहयोग करना और कभी कभी तो अपने कार्य में इतना खो जाना की खाना खाना भी भूल जाना और अपने कार्य के प्रति पूरी ईमानदारी और निष्ठा रखना और कार्य के प्रति कोई भी लापरवाही न बरतना। और इसे ही systematic कार्य की वजह से लोग आपसे प्रभावित होते है और और आपको दिल से दुआ देते है।
इस ऑफिस का ताज हो आप
हम सबके दिलो में राज करने वाले सिरताज़ हो आप
आप ऊपर से भले ही कठोर हो
पर अंदर से पूरा नारियल हो आप
Sir
Sir आपके मान समान में दो पंक्ति कहती हु
आपसे सीखा बहुत कुछ, भूल हम न पाएंगे
विदाई की इस बेला पे और कुछ न कह पायेंगे
३० वर्षो का सफ़र युही अलविदा न होता है
दूर रहकर भी एहसास हर पल होता है ।
इन्ही शुभकामनाएं के साथ रिटायरमेंट की हार्दिक बधाईयां देते है और उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं देता हु।
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