सादर नमस्कार, पधारे गए सभी अथितियो को मेरा प्रणाम।
आज एक ऐसी शख्शियत के बारे में बात करना चाहती हु जिसके बारे में कुछ कहना चाहिए तो लफ्ज़ भी कम पड़ जायेंगे। गुणों को खान, परिवार की शान, हम सबकी पहचान और कार्यालय का अभिमान है।
क्या चित्रण करू में maam, आप खुद में विश्लेषित हो
नारियल जैसी कठोर और अंदर से सुरभित चंदन हो।
आपने इस कार्यालय को अपने 25 वर्ष दिए और इन 25 वर्षों में आपने निरंतर आपने मेहनत और लगन से इस कार्यालय को उचाईयों तक पहुँचाया है। आपका अनवरत प्रयास काबिल ऐ तारीफ़ है। इतना ही नही आपने हम सबको एक परिवार की तरह ही समझा और हर कार्य को बखूभी निभाया।
विदाई की इस बेला पे आज आंखें झलक सी गयीं है, ऐसे लगता है परिवार का सबसे बड़ा और सबसे काबिल इंसान हमे छोड़ के जा रहा है।इतना विश्वास है की आपके बिना भी कार्यालय इसी रफ्तार से चलेगा क्योंकि आपने हमे एक सांचे में तैयार किया है जहाँ अवरोध भी आ जाये तो हमारे प्रयास और मेहनत के आगे झुक जायेगा पर
आपकी कमी को हरपल महसूस करेंगे हम
जहाँ भी रहो खुश रहो यही दुआ करेंगे हम
परिवार में सुख और शांति का निवास हो
और जीवन के आने वाले सुनहरे पलो में सिर्फ खुशियों का वास हो।
इन्ही शुभकामनाएं के साथ दो पंक्तियों से अपनी वाणी को विराम देती हूं।
आप इस कार्यालय की वो कल्पवृक्ष हो, जो हर बाग़ में नही खिलते है
वो खुशनसीब होते है जो आपकी छत्र छाया में रहते है।
विदाई लेने वाले का भाषण | रिटायर हुए व्यक्ति की और से भाषण
माननीय प्रधाननाचार्य जी, माननीय महोदया जी, शिक्षकगण और मेरे प्यारे विद्यार्थियों।
में आज आप सबका तहदिल से धन्यवाद ज्ञापित करता हु की आपने मेरे मान सम्मान में यह कार्यक्रम आयोजित किया और भावों से मेरा स्वागत किया और विद्यार्थियों का जिन्होंने बड़े ही अच्छे से मेरा role play किया।
यह पल मेरे लिए बड़ा ही भावुक पल है क्योंकि यह विद्यालय मेरा दूसरा घर है। यहाँ मेने खूबसूरत पलो को जिया है, खुशी और दुःख को भी बांटा है और एक परिवार की तरह एक दूसरे के साथ खड़े हुए है।
सबसे पहले में प्रिंसिपल sir का आभार व्यक्त करता हु एक पिता की तरह इस उपवन को उन्होंने सींचा है, हर एक फूल को काबिल बनाया है। आज में यहाँ से वोही काबिलियत अपने साथ ले जा रहू हु जो प्रिंसीपल sir की ही देन है। आपका मागदर्शन हमेशा मिलता रहे यही दुआ करता हु।
में सभी शिक्षकगण को धन्यवाद ज्ञापित करता हु, इस परिवार से बिछुड़ने के दर्द को में शब्दों में व्यक्त तो नही कर सकता, पर इस परिवार से दूर जाने के गम को अब रोक भी नही सकता।
Last but not the least
मेरे विद्यार्थियों
इतना ही कहना चाहूंगा
बस ऐसे ही प्रयासरत रहो
जब तक मंज़िल तक न पहुँच जाओ।
आज शायद इस झरने को रोक नही पाऊंगा, इस घर से विदा होने से पहले, यादों को अपने गले लगाने से पहले, विद्यालय का प्रांगण छोड़ के जाने से पहले, इस परिवार से दूर जाने से पहले, इतना प्यार और इतना स्नेह साथ ले जाने से पहले एक गाना गुनगुनाना चाहूंगा और आप सबका साथ चाहूंगा।
कभी अलविदा न कहना।
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