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kargil vijay diwas par kavita | Kargil vijay diwas par kavita quotes | कारगिल युद्ध विजय दिवस

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kargil vjay diwas

जब शहीद की शहादत शरहदो को पार कर घर के आंगन में आती है तो एक शहीद अपनी मां को क्या कहता है कविता के माध्यम से उन भावों को व्यक्त करती हु और वतन की मिट्टी को माथे पे लगा शहीदों को शब्दो के फूल अर्पित करती हु।

आज मेरी डोली आयेंगी, तेरे सुने आंगन में
कर्ज चुका धरती कातुझसे मिलने आयेंगी
समय के इस कालचक्र को कुछ पल ही रोक पाया मां
एक बार गले से लग जाऊ ताकि सुकून से सो सकू में मां।।

तू न मुस्कुरा कर मेरा स्वागत करना
तेरी मुस्कुराहट से महकता घर का आंगन है
अखबार पढ़ते पिताजी का
तुझे मुस्कुराते देख झलक जाता जवानी का वो सावन है।

मां तुझे पता है में आसमानों को चीर कर आया हु
और उन गद्दारों को धरती से उखाड़ आया हु
देशभक्ति का अविरल दीपक जला आया हु
और सरहद को अपनी खूनो की बूंदों से भीगा आया हु।

मां में बिल्कुल न डरा, जब दुश्मनों ने मेरे सीने में गोली दागी थी
एक भी, दो नहीं पूरी ५ गोली फिर भी मौत मैने न मांगी थी
जिंदगी के उन आखिरी पलो में शमशीर बन खड़ा था
और दुश्मनों के लिए तलवार बन खड़ा था।

तेरी हाथो की खीर पूरी खाने को जी ललचाया था
तेरी आंचल में सिमट कर सोने को जी तरसाया था
सिसकिया भर रही थी जिंदगी, तेरे ख्वाबों में खोया था
सच कहु मां, उन अंतिम पलो में तेरी याद में बहुत रोया था।

कतरा कतरा से मैंने आजादी का लहू घोला है
भारत के गौरव में अमृत का रस घोला है
इतिहास जब वीरों की गाथा गाएंगी तो तेरे वीर सपूत को भी याद करेंगी
मां तेरी सिख को मैंने सरहदों पर टटोला है।

मेरी अर्थी जब उठे मां घर से, उसमें एक कंधा तुम्हारा हो
में तेरे जीवन का अंश हु, मेरे पे पहला हक तुम्हारा हो
जिंदगी के इस आखिरी पढ़ाव पर मांगता तेरा हाथ हु
हंसकर विदा करना, तेरी मुस्कुराहट भरी यादें ले के जा रहा हु अपने साथ हु।

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