1.Speech for Gram Pradhan for 26 Jan | 26 January Bhashan
इतिहास तो उन वीरों का है
जो जलती चिता पे बैठ कर वीना बजाते है
मौत को हथेली में रखकर
दुश्मनों को भी परास्त कर देते है।
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, समस्त शिक्षक गण और पधारे गए अथितिगण।
आज हम 75 गणतंत्र दिवस बनाने के लिए यहां एकत्रित हुए है, हर तरफ आज एक अलग ही उलास है और उत्साह है, देशभक्ति के गानों से गूंज रहा मेरे गांव का प्रांगण है
शहीदों को करते हम वंदन है
मिट्टी भी जहा की चंदन है
ऐसा मेरा हिंदुस्तान है।
15 अगस्त 1947 को भारत आज़ाद हुआ था, तब भारत के पास एक बड़ी समस्या थी यह की संविधान की रचना, तब बाबा साहेब आंबेडकर जी ने 2वर्ष 11माह 18दिन में संविधान की रचना कर डाली जो पूरे विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान बन गया।
आज हमें परत्रांत की बेड़ियों से आज़ादी तो मिल गई पर अभी भी बेरोजगारी अपने पांव पसार रही है, कालाबाजारी हर और दिखाई देती है, नारी को आज भी गांव में बराबर का अधिकार नही मिलता, बच्चियों को शिक्षा का अधिकार नही मिलता, क्योंकि हमारी विकृत मानसिकता ने हमे परत्रांत की बेड़ियों में अभी भी जकड़ रखा है।
उस दिन भारत सही रूप में से स्वतंत्र होंगा जिस दिन नारी को समाज में बराबर का दर्जा मिलेगा, शिक्षा का समान अधिकार मिलेगा, बेरोजगारी पे लगेगी लगाम और कालाबाजारी पे कसेगा कड़ा शिकंजा। हम मिलकर आज प्रण ले की हमारी बहन बेटियों को हम बराबर का अधिकार दिलाएंगे, और शिक्षा की ज्योत घर घर जलाएंगे।
इसी आशा और विश्वास के साथ गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देती हु और चार पंक्तियां कहती हु।
सौंदर्य बिखेरती जहा धरती है
प्रकृति का कण कण जहा निखरता है
संस्कृति और सभ्यता जहा जन्म लेती है
मेरा देश गांव में ही बसता है।।।
जय हिंद
Republic Day Speech | 26 january par bhashan hindi speech 2024
एक जुनून sa चढ़ा था सिर पर
एक जंग सी छिड़ी थी भीतर
आजादी के तराने लेकर
निकल पड़े घरों से जब क्रांतिकारी
तब कही जाके मिली
भारत को यह आज़ादी
और 75 गणतंत्र दिवस मिलकर बनाते
हम सब भारतवासी।
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, समस्त शिष्कगण, पधारे गए अथितिगण और प्यारे विद्यार्थियों।
जैसा की आप सबको विदित है की हम ७७ गणतंत्र दिवस बनाने के लिए यहां एकत्रित हुए है, 15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजी हुकूमत से पूरी तरह आजाद हो गया था और जुल्म और अत्याचार की दासता खतम हुई थी पर जरूरत थी एक ऐसी न्यायिक व्यवस्था की जिससे प्रजातंत्र सुचारू रूप से चल सके तब dr भीमराव अंबेडकर जी की अध्यक्षता में भारत का संविधान लिखकर तैयार हुआ था, जिसे बनाने में 2 वर्ष 11 माह और 18 दिन लगे और 26 जनवरी 1950 को यह पूरे भारत में लागू कर दिया था, तब से हर इस दिन हम गणतंत्र दिवस बनाते है।
मुझे सुभद्रचौहन की लिखी हुई वो चार पंक्तियां याद आती है
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
यह तो मात्र देशभक्ति का एक उदाहरण है, इसे कितने ही वीर क्रांतिकारी जिन्होंने देशभक्ति की ऐसी लो जलाई जो अविरल चलती रही, मंगल पांडे से शुरू हुई जो विद्रोह की ज्वाला , उस ज्वाला में कितने क्रांतिकारी ने अपना योगदान दिया, भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव तो हंसते हंसते फांसी के फंदे पे चढ़ गए, पर इंकलाब के नारों से धरती को गूंजा दिया चंद्रशेखर आज़ाद ने तो खुद को गोली मार दी, अपने हाथो अपने प्राणों की आहुति दे दी, इसे सच्चे वीर धरती मां के जिनकी वजह से ही अंग्रेजियो की गुलामी से हम आज़ाद हो पाए थे।
घायल पड़ा शेर है, फिर भी जज्बा कमाल का है
जेल में सड़ी गली रोटियां है, फिर भी आजादी की बिंगुल बजा रहा है
पानी को तरसा है, पर खून में उफ़ान है
इसे शहीदों को हमारा वंदन बारंबार है।
अंत में चार पंक्तियां उन्हें समर्पित करती हु, जो जलती चिता पे मीनार बन बैठे है, दुश्मन के गले का हार बन बैठे है,
खड़े है वो सरहद पर, हम घर में दीप जलाते है
वो रात भर पहरा लगाते है
हम चैन की नींद सो जाते है।
और अपनी वाणी को विराम देते हुए गणतंत्र दिवस की एक बार फिर सबको बधाई देती हु।
जय हिंद ।
गणतंत्र दिवस पर भाषण की शुरुआत कैसे करें | 26 january par bhashan hindi speech for students
आओ झुककर सलाम करे उन्हें
जिनके हिस्से में यह मुकाम आता है
खुशनसीब होते है वो लोग
जिनका लहू देश के काम आता है।
आज हम सब यहां गणतंत्र दिवस बनाने के लिए एकत्रित हुए है, कितने बलिदानों और संघर्ष के बाद हमें यह स्वतंत्रता हासिल हुई है। 15 अगस्त 1947 को भारत पूरी तरह आजाद हुआ था। और 26 जनवरी 1950 को भारत गणतंत्र हुआ था। आज पूरा भारत एकजुट होकर, मुस्लिम, सिख, हिंदू, ईसाई एक साथ खड़े होकर इस दिवस को बना रहा है।
अनेकता में एकता, है हिंद की विशेषता
एक राह के है मीत, मीत एक प्यार के
एक डाली के है फूल, फूल एक हार के
देखती यह जमीन, देखता यह आसमान है।
भारत वह भूमि है, जहा पतझड़ में भी फूल खिलते है
और कोई हमारी तरफ आंख भी उठाए
हम सब एक साथ खड़े रहते है।
दिन वो आज आया है
तिरंगा खुलकर मुस्कुराया है
तोड़ के पराधीनता की बेड़ियों को
देखो ध्वज कैसे मुस्कुराया है।
आज वही दिन है, जब तिरंगा खुलकर मुस्कुरा रहा है, पराधीनता की बेड़ियों में जकड़े, अत्याचारों से लिपटे उस भारत की तस्वीर भी देख ले तो रोंगटे खड़े हो जाते है,जलियांवाला बाग की त्रासदी सुन्न रह जाते है तो कल्पना कीजिए, उन बच्चे, बूढ़े, औरत का क्या हुआ होंगा, मौत को इतने समीप से देखकर, बेरहमी की सारे हद पार करती अंग्रेजी सरकार की वो गोलियां और उन लोगो की चीत्कार जो सन्नाटा बनकर, खून की नदिया बनकर खामोशी के समुंद्र में डुबकी लगाकर आसमान के सितारे बन गई, यह तो मात्र अत्याचार का एक नमूना है, और भी कितने अत्याचार भारत को खोखला करने के लिए अंग्रेज करते रहे पर कहते है न
अगर विश्वास पका हो,
तो आसमान को भी झुकना पढ़ता है
जंग जीतने की कोशिश लगातार चलती रहे
तो एक दिन जीत को भी मुक्कदर तुम्हारे द्वार पर दस्तक देना पढ़ता है।
अंत में चार पंक्तियां उन शहीदों को नमन करते हुए कहती हु।
कतरे कतरे में आज़ादी का लहू जहाँ बहता था,
छोटी सी उम्र में भी देशभक्ति का झरना झर झर करता था
इंकलाब जिंदाबाद के नारे जहाँ हर गलियारे में गुंजा करता था
यह आज़ादी के वो परवाने थे, जिन्होंने तिरंगे से अपना कफ़न बांधा था।
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