‘सौंदर्य बिखेरती जहा धरती है
प्रकृति का हर कण जहा निखरता है
संस्कृति और सभ्यता जहा जन्म लेती है
मेरा देश गावो में ही तो बसता है।‘
और देश की इस धरोहर को, गावो की सुचारू रूप से देखभाल करने के लिए पंचायती राज व्यवस्था का गठन किया गया था।
और आज 24 अप्रैल राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस की सबको हार्दिक शुभकामनाएं देती हु और मुझे मंच प्रदान करने के लिए तहदिल से धन्यवाद ज्ञापित करती हु।
पंचायती राज व्यवस्था यू तो प्राचीन काल से ही अस्तित्व में रही है पर आधुनिक भारत में पहली बार राजस्थान के नागोर जिले के बगदरी गांव में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई थी। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 40 में राज्यों को पंचायती के गठन का निर्देश दिया गया था।
पंचायती राज दिवस सिर्फ एक दिवस मान ले तो गलत होंगा, क्योंकि यह वो दिन है जब गांव के बहुमुखी विकास के लिए सभा का आयोजन किया गया था, जिससे गावो का विकास हो पाया और जो भी समस्या गावो में अपने पंख पसार रही थी, वो खुलकर सामने आ पाई, जैसे पानी की समस्या, किसानों के खेतो में हो रहे परेशानी, अस्तपालो में मशीनों की जरूरत इत्यादि, जब यह परेशानी का समाधान मिलकर निकलने लगा तो यह परेशानी काफी छोटी प्रतीत हुई,
तभी मुखिया की भूमिका बड़ी अहम साबित हुई।
आज के दिन गांव के विकास में योगदान और असाधारण कार्य कर गांव की पृष्ठभूमि को बदलने के लिए, प्रधानमंत्री द्वारा पुरुस्कार भी दिए जाते है और उन्हें सम्मानित भी किया जाता है।
अंत में चार पंक्तियों से अपनी वाणी को विराम देती हु और पंचायती राज दिवस की सबको हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं देती हु।
“बड़ी से बड़ी समस्या भी आसान लगने लगी थी
हर मुश्किल का समाधान
जो निकालने लगी थी
जिनके होने से गांव का वातावरण बदलने लगा था
विद्यालय में रौनक दिखने लगी थी
टीका के प्रति जागरूक गांववासी होने लगे थे
क्योंकि पंचायती राज अब अपना कर्तव्य निभाने लगी थी
और दिन विशेष उन्ही पंचायती राज को समर्पित है
जो अपना १०० प्रतिशत देकर पूरे गांव में एक नया और विकासशील भारत बसाने लगी थी।“
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