ताजमहल का में ही रचनाकार हु
मैंने ही बनाया कुतुबमीनार है
मेरे हाथो ही निर्माण हुए यह भव्य मंदिर है
में गर्व से कहता हु में भारत का मजदूर हु।
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, समस्त शिक्षकगण, पधारे गए अथितिगण और मेरे प्यारे सहपाठियो।
सर्वप्रथम मजदूर दिवस की सबको हार्दिक शुभकामनाएं देती हु और इस दिवस पर मुझे मंच प्रदान करने के लिए तहदिल से आपका धन्यवाद ज्ञापित करती हु।
कभी कीचड़ से सना हुआ होता, तो कभी सूर्य की तेज किरणों में तपा हुआ होता, कभी कड़ाके की ठंड में चांद की शीतलता में सोया हुआ होता, तो कभी कारखानों के धुएं के बीच मशीनों से लगा हुआ होता, कभी फाइल्स में घूम अपनी ही धुन में होता तो कभी लकड़ियों का ढेर इधर से उधर उठा रहा होता। यह वो इकाई है जिसके बिना सब बेकार है,
मजबूर नही वो भारत का मजदूर है।
1 मई अंतराष्ट्रीय मई दिवस, तमिल में कहते जिसे “उझोपलार नाल” से जिसे जानते है, भारत में 1923 में पहली बार जिसे चेन्नई में बनाया गया, 80 देशों में मनाया जाता है, इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है ।
जिनके श्रम और पसीने से धरती ने उगला सोना है
अनाज को हम तक पहुंचाया बहा कर अपना पसीना है
सादगी भरा जीवन जी कर बहुत कुछ सीखा जाते है
यह भारत के वो मजदूर है जो ताजमहल, कुतुबमीनार जेसी इमारत खड़ी कर जाते है
मजदूर दिवस पर उन्हें शुक्रिया करते है
जो मेहनत पसीना अपना बहा कर हम तक रोटी पहुंचाते है।
मजदूर वर्ग वह इकाई है जो हमे मजबूती प्रदान करते है और उन्ही की प्राथमिकता बताने के लिए हम मजदूर दिवस बनाते है।
अंत में चार पंक्तियों से अपनी वाणी को विराम देती हु और सभी मजदूर भाई बहनों को दिल से धन्यवाद करते है।
नींव हो आप भव्य इमारतों की
जड़ हो आप फलते फूलते परिवारों की
भले से बोझ तले दबे हो
पर यकीन मानो
आपसे ही खिलता भारत का आंगन है
सिर्फ कलाकार नही, सिर्फ कारीगर नही, सिर्फ इतिहासकार नहीं, सिर्फ मजदूर नही
आप भारत के दो वो हाथ हो
जो लाखो करोड़ों हाथो के बराबर हो
सही मायनो में कहूं तो
आप भारत के रचनाकार हु।
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