सूरज की पहली किरण शिखर पे रोशनी का आरोहण
रंग बिखरे खुशियो के नदियो का हो रहा सुन्दर संगम
हर तरफ सुनहरी धुप और हरयाली का समागम
समेट के किरणों को चंदा का हो रहा आगमन
विचलित हो मानव ने किया पर्यावरण पे प्रहार
अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए किया पर्यावरण का तिरस्कार
बेठा वो महलो में आपदाए हो रही हर और
भूकंप बाढ़ ज्वार का मिला हमें कीमती उपहार
दूषित हो रहा पर्यावरण हो रहा ओजोन परत का श्ररण
किसपे करे दोषारोपण स्वार्थी हो रहा संसार
खुद से ऊपर उठे करे दुनिया का श्रृंगार
तभी पर्यावरण की बाहो में हरयाली करेगी विराम।
Hello Everyone, सादर नमस्कार
में आज विश्व पर्यावरण दिवस पर अपने विचार प्रस्तुत करना चाहती हु और पर्यावरण को हरियाली की चादर ओढ़ना चाहती हु।
एक तरफ बढ़ रहा निरंतर ताप है, ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ रहा जलस्तर है, प्रदूषण से दूषित हो रहा वातावरण है, सृष्टि में मच रहा हाहाकार है क्योंकि स्वार्थी हो रहा अब इंसान है।
आज हम अपने स्वार्थ में निरंतर पेड़ो की कटाई कर रहे है, जिससे न सिर्फ हमारा जीवन प्रभावित हो रहा बल्कि पशु पक्षी का भी जीवन खतरे में पड़ गया है। हम बड़े बड़े आलीशान मकान तो बना लेते है पर आने वाली पीढ़ियों को समस्या की सौगात भी तो दे रहे है।
जब जब मानव प्रकृति से खिलवाड़ करता है, तब तब प्रकृति ने अपना नया रूप दिखाया है। एक आदमी ने सुअर को खाया और भावी पीढ़ी को स्वाइनफ्लू नामक बीमारी से ग्रसित होना पड़ा। कहा भी है एक डूबा साथ मे हज़ारो को ले पड़ा। हम अपने घर को तो साफ़ करते है पर क्या हम उस कचरे को सडक़ पे नही फेंकते, हम हरे भरे वातावरण में रहना पसंद करते है पर क्या कभी हमने वृक्षारोपण किया, हम satamye jayate नामक कार्यक्रम को देखना पसंद करते है पर क्या कभी हमने पानी की एहमियत समझी क्योंकि हम सोचते ही नही है। सुंदर भारत का स्वप्न सजातें है पर क्या हमने कभी खुद को बदला, जिस दिन हमारी सोच में परिवर्तन होगा, उसी दिन एक सुंदर भारत का निर्माण होगा।
इसलिए आज इस जगह एक संकल्प लेते है और मिलकर इसे सफ़ल बनाते है और पेड़ लगाकर पर्यावरण को हरियाली का श्रृंगार पहनाते है और इसी हरियाली के बीच रहकर हम अपने जीवन का प्रकृति के साथ सामझनस्य स्थापित करते है और विश्व पर्यावरण दिवस की सबको शुभकामनाएं देते है और कामना करते है हम सब मिलकर प्रकृति को सुंदरता की चादर ओढ़ायेंगे इन्ही भावनाओं के साथ चार पंक्ति कहकर अपनी वाणी को विराम देती हु।
हरियाली को समेटे प्रकृति मुस्कुरा रही है
भिन्न भिन्न रंगों से सौंदर्य बिखेर रही है
अपनी खूबसूरती से पशु पक्षी मानव सबको महका रही है
पर्यावरण दिवस पे रोशनी की बाहों में विराम कर रही है
और पूरे संसार को प्रकाश से प्रस्फुटित कर रही है।
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