1.कमल के सामान सुवासित जिसका जीवन है
प्यार से सजा जिसके आत्मा का दर्पण है
मुश्किलो में रहा जिसका सदा संगम है
नारी के जीवन काल का करते हम चित्रण है….
2.हनुमान जिसका लाल था उसके चरित्र पे खड़े कितने सवाल
अपनों ने किया बेगाना औरो का क्या उसे ख्याल
दर्द सहा इतना, अहसहनीय उसकी पीर
जंगल में रहकर भी सतीत्व कायम रखा ये उसकी जीत थी ।
3.एक टहनी एक दिन पतवार बनती है
एक चिनगारी दहक अंगार बनती है
जो सदा रौंधी गयी बेबस समझकर
एक दिन मिट्टी वही मीनार बनती है।
4. जब नारी कुछ करने की ठान ले
तो
पर्वत भी झुक जाता है
नदिया रास्ता दे देती है
साहिल देखते रह जाती है
प्रकति मुस्कुराती है
क्योंकि उसके जज़्बे को देख
आसमा के तारे भी तो खुशी बनाते है।
5. एक नये परिवेश में खड़ी आज नारी है
उसकी काबिलयत पे टिकी दुनिया सारी है
संसार निर्मित हुआ उसी के होने से
फिर क्यों पराधीनता की बेड़िया में जकडी नारी है।
6. नारी मान है, सम्मान है, घर का स्वाभिमान है
मत रोंदो उसे वह जगत का आधार है
आज नहीं वो बेबस और लाचार है
आज वो धारण कर चुकी दुर्गा का भी अवतार है
7. सुई की नौक पे चलना हो
या भिड़ना हो आज अंगारो से
आज नहीं वो डरती किसी से
खुद बनी अपना अभिमान है।