क्या चित्रण करे जनसंख्या जो खुद में विश्लेषित है
करोड़ो लोगो से अठखेलियाँ करती, वह मानव निर्मित है
बढ़ती हुयी आबादी, नयी समस्यों का मंजर
आओ हो रही परेशानी का करे हम आंकलन।।
सुप्रभात, पधारे गए अथिति को मेरा सादर नमस्कार।
आज हम सब यहाँ विश्व जनसंख्या दिवस बनाने के लिए एकत्रित हुए है और यह मंच प्रदान करने के लिए और अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए इस विद्यालय का दिल से आभार व्यक्त करती हूं।
किसी भी देश की उन्नति वहां की जनसंख्या पे निधार्रित होती है। जहाँ की जनसंख्या अधिक होती है, उस देश की प्रगति भी उतनी ही तेजी से होती है। पर वही आबादी अगर अनियंत्रित बढ़ती रहे तो उस देश के लिए समस्या बन के उभरती है। जिसका रोकथाम अगर समय पे किया न जाये तो यह और विकराल रूप धारण कर लेती है। भुखमरी, महंगाई, बेरोज़गारी आदि समस्या तो पहले ही जन्म ले चुकी है।
आंकड़े की अगर बात करे तो वर्लडोमीटर के अनुसार 2021 में भारत की जनसंख्या 139 करोड़ हो चुकी है और वार्षिक दर भी 1:2 से बढ़कर 1:36 हो गया है जो चीन की वार्षिक वृद्धि दर के मुकाबले दुगनी है।
कहा भी गया है,
दिन दिन बढ़ती आबादी ने पैदा कर दी विपदाएं
बढ़ते बढ़ते घटी घरों में सब तरह की सुविधाएं।
बढ़ती आबादी से ही प्रदूषण हो रहा है, जिससे ओजोन परत का क्षरण हो रहा है। इतना ही नही आबादी की वजह से पेड़ पौधों की निरंतर कटाई हो रही है जिससे वन्य जीवन भी प्रभावित हो रहा है, और पेड़ो की कटाई की वजह से निरंतर बढ़ रहा ताप है, ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ रहा जलस्तर है और फैल रहा प्रदूषण है और अनेक समस्या और बीमारियों से ग्रसित गो रहा जीवन है।
विश्व जनसंख्या दिवस पर मिल के संकल्प लेते है और इसे सफल बनाने का प्रयास करते है कि ‘ हम दो हमारे दो’ यह मूलमंत्र अपनायेंगे और जनसंख्या की रोकथाम करने के लिए उपाय करेंगे और आने वाली पीढ़ी को समस्या की सौगात नही देंगे। इन्ही शुभकामनाएं के साथ चार पंक्तियों से अपनी वाणी को विराम देती हूं ।
आशाओं के दीप जलाकर
एक नया सवेरा लेकर आयी हु
हम सबके प्रयासों से
जनसंख्या को नियंत्रित करने आयी हु
न हो कोई बेरोजगार, सबको मिले रोज़गार
खुशियो से महके सबका घर संसार
युही खिलता रहे भारत का प्रांगण
सुख, समृद्धि और विकास का सिर्फ दिखे दर्पण।
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