शाशनपति श्रमण भगवान महावीर स्वामी को वंदन नमस्कार करने के पश्चात उन्ही की आज्ञा में विचरण करने वाले संत सतियो के चरणों मे कोटि कोटि नमन।
जोधपुर तो वह धरा है
जहाँ पाषाण में भी रत्न मिलते है
कर्मो का नाश कर
हमने से कितने ही महावीर बनते है।
जैसे कि हम सब जानते है हम सब का परम सौभाग्य है कि गुरुदेव ने जोधपुर में चातुर्मास करने की घोषणा की, यह जोधपुर धरा की पुन्यवानी का ही उदय है कि हमे गुरुदेव का चौमासा मिला, चार महीनों तक धर्म करने का और गुरुदेव की छत्रछाया में निरंतर धर्म के मार्ग में, तपस्या में और धर्म की प्रभावना में तत्पर होने का परम परम सौभाग्य मिला।
गुरुदेव के चरण जहाँ पड़ते है
वो धरा पावन हो जाती है
मिट्टी चंदन के भाँति महकने लगती है
हवाए मधुर संगीत गुनगुनाती है
और धर्म का अंकुर फूटने लगता है
और तप से कर्मो की निर्जरा होती है।
पुण्यवानी का प्रबल योग होता है
तभी तो ऐसे महापुरुष पधारते है
10 दिशाए कर रही नमस्कार है
गुरुदेव आपके चरणों मे वंदन बारंबार है
मारवाड़ संघ की विनती को स्वीकार कर किया हमपे बड़ा उपकार है
जिनवाणी रूपी मोती से हमे भी करे भवजल से अब पार है।
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