सूरज की पहली किरण शिखर पे रोशनी का आरोहण
रंग बिखरे खुशियो के नदियो का हो रहा सुन्दर संगम
हर तरफ सुनहरी धुप और हरयाली का समागम
समेट के किरणों को चंदा का हो रहा आगमन
विचलित हो मानव ने किया पर्यावरण पे प्रहार
अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए किया पर्यावरण का तिरस्कार
बेठा वो महलो में आपदाए हो रही हर और
भूकंप बाढ़ ज्वार का मिला हमें कीमती उपहार
दूषित हो रहा पर्यावरण हो रहा ओजोन परत का श्ररण
किसपे करे दोषारोपण स्वार्थी हो रहा संसार
खुद से ऊपर उठे करे दुनिया का श्रृंगार
तभी पर्यावरण की बाहो में हरयाली करेगी विराम।
2. पर्यावरण पर कविता | Hindi Poem on Nature | प्रकृति पर बच्चों के लिए कविता
चाँद की चाँदनी रात में सितारो के बीच
महकती इन फ़िज़ा में बादलो के बीच
लहराते हुए सागर में लहरो के बीच
मंडराते हुए भवरो में फुलो के बीच
चहकते हुए पक्षियो में पेड़ो के बीच
नीलगगन में उड़ते हुए पंछी के बीच
लहराती हुए खेत के फस्लो में किसानो के बीच
खुशी के दीप में जलते हुए गम के बीच
आसमान से टपकती हुए बारिश के बूँदो के बीच
अंधेरी रात के बाद सूरज की पहली किरण के बीच
बर्फ़ीले पहाड़ में ओस के बूँदो के बीच
धरती माँ के गोद में खिलते हुए फुलो के बीच
शिखर पे विराजित उस हिमालय के बीच
भयानक सी सुरंग में अंधेरी रात के बीच
गंगा यमुना जैसी पवित्र नदियो के बीच लगता है प्रकृति कितनी खूबसूरत है……………….
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