कमल के समान सुवासित जिसका जीवन था
प्रेम और स्नेह से सजाया जिसने परिवार का प्रांगण था
सबको साथ लेकर जो हमेशा ही चलते थे
वो हम सब के प्रिय भरोसा थे।
खुशियों में हमेशा जो पहले पहुंच जाते थे
और दुख की घड़ियों में साथ नहीं छोड़ते थे
समय का पहिया भी जिनके आगे पानी भरता था
मेहनत और कर्तव्यनिष्ठा की मिसालें वो कायम करते थे।
सफलता के मूल मंत्र का खजाना इनके पास होता था
जो आ जाता इनके हाथ में वो कोहिनूर बन जाता था
पत्थर में शबनम के फूल खिलाने का जो साहस रखते थे
ऐसी अद्भुत व्यक्तित्व के धनी हमारे भरोसा थे।
जड़ थे आप पूरे परिवार की
हर एक डाली को आपने बखूबी सिंचा था
आपके निर्णय और सहमति से ही हर कार्य शुरू होता था
और आपके आशीर्वाद से ही हर कार्य पूर्ण होता था।
कैसे दें विदाई आपको, आँखें भर-भरभर आती हैं
जन-जनजन के मानस में एक कृति उभर आती है
सुना हुआ घर आंगन भरोसा कहकर किसे बुलाएंगे
आपको विदाई कैसे हम दे पाएंगे।
नमन आपको करते हैं
जहां कहीं भी हो बस यही दुआ करते है
सिर पर रहे हमेशा आपका हाथ, जहां से भी महके आपका गुलज़ार
इन्हीं आशाओं के साथ श्रद्धा सुमन के फूल अर्पित करते हैं।
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