कमल के समान सुवासित जिनका जीवन है
अनुशासन से सजाया जिसने विद्यालय का प्रांगण है
सबको साथ लेकर जो हमेशा ही चलती है
वो हम सब की प्रिंसिपल मैम है।
जड़ हो आप पूरे विद्यालय परिवार की
हर एक डाली को आपने बखूबी सिंचा है
आपकी छत्रछाया में पलकर ही
बनी यह सुंदर बगिया है।
सफलता के मूल मंत्र का खजाना जिनके पास होता है
जो हाथों में आ जाए इनके वो कोहिनूर बन जाता है
पत्थर में सबनम के फूल खिलाने का साहस जो रखती है
ऐसी अद्भुत व्यक्तित्व की धनी हमारी मैम है।
समय का पहिया भी जिनके आगे पानी भरता है
मेहनत और कर्तव्य निष्ठा की मिसाल वो कायम जो करती है
जिनको देख पूरा विद्यालय मौन हो जाता है
और जिनके रुतबे और तुज़रबा के आगे पर्वत भी शीश नमाता है।
हमें शिखरों पे चढ़ते देख जो सबसे पहले आती है
और हमारी सफलता के किस्से पूरे विद्यालय को सुनाती है
ग़म के अंधेरे में पास में बैठ कर हमें समझाती है
और जब-जब भटक जाए सही मार्ग दिखाती है।
कैसे दे मैम विदाई आपको आँखें भर-भर आती हैं
हर एक स्टूडेंट के मन मंदिर में फिर एक कृति उभर जाती है
सुना हो जाएगा विद्यालय का प्रांगण, अब हम डांट कौन लगाएगा और हमारी पीठ कौन थपथपाएगा
आपको मैम हम कैसे विदाई दे पाएंगे।
बस इतना ही कहना है
सिर पर रहे आपका हाथ, जहां से महके आपका गुलज़ार
और खुशियों से महके आपका जीवन का हर एक पल, हर एक लम्हा और आने वाला कल
इन्हीं आशाओं के साथ, तमन्ना के साथ आपको विदाई देते है और हम सब आपके मूल मंत्र को अपनाकर मेहनत करेंगे बस एक प्रॉमिस हम आपसे करते है।
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