तिनका तिनका इक्ट्ठा कर एक चिड़िया घोंसला बनाती है
हर एक मनके को माला में पिरोकर एक जोहरी माला बनाता है
और छ काय जीवो को अभयदान देकर
एक जैनी पर्युषण बनाता है।
शासनपति श्रमण भगवान महावीर स्वामी जी के चरणों में वंदन नमस्कार करने के पश्चात उन्ही के पथ पे चलने वाले साधु साध्वी जी के चरणों में वंदन करती हु।
खामेमी सव्वे जीवा
सव्वे जीवा खामंतु में
मिट्टी में सव्वा भूएसू
वेरम मजझम ना केनाई।
माना कठिन है डगर मगर
यूंही बातो को आज भूल जाना है
ठेस जो पहुंची दिलों को
उन्हें माफ कर आगे बढ़ जाना है।
क्षमा वीरों का आभूषण है क्षमा करना हर किसी के बस की बात नही है, क्षमा वही कर सकता है जिसका दिल बड़ा होता है ,आज हम सभी अपने गीले शिकवे भूला कर आज हम पुराने पापो की आलोचना करते है, उसकी निंदा करते है और प्रतिक्रमण कर सबसे दिल से माफी मांगते है, माफ करते है तभी तो यह पर्व
जैन धर्म की आन है, जिनशाशन की शान है और हम जैन धर्म की पहचान है।
हम आज सभी ८४ लाख जीवयोनी को खमतखामना करते है और तप से कर्मों की निर्जरा करने वाले सभी तपस्वी की अनुमोदना करते है।
तप आत्मा में मलीनता को हटाकर पवित्र बनाता है, अनंत पापो का क्षय करता है और और आनंद की अनुभूति में फिर डूब जाता है।
आनंद की अनुभति दिखती उनके चेहरे पे
जो तपस्या का रसपान करते है
अनंत कर्मों का क्षय कर
मोक्ष की सीढ़ी पर पैर रखते है
खिला खिला रहता है चेहरा
जैसे सूर्य का पहन लिया सेहरा
चंदन की होती वहा पुष्प वर्षा
जहा जिनशाशन में तपस्वी का हो पहरा।
अंत में सभी तपस्वी की अनुमोदना करती हु और सभी को खमतखामना करती हु।
कोई भूल हुई हो हमसे
तो हमे माफ करना
हमारी सभी गलतियों को भूलकर
फिर एक नई शुरआत करते है।
कोई दिल में बात दबी रह गई हो
कोई दिल में कोई खता रह गई हो
दिल की गहराइयों से हमे भूला कर
फिर एक नई शुरआत करते है।
बस इतना ही कहना है
इस संवत्सरी पर्व पर
खमत खामना करते है
८४ लाख जीवयोनी को खमाते है
मिच्छामि दुक्कड़म कर
अपनी सारी गलतियों की माफी मांगते है।
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