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भक्ति कार्यक्रम संचालन की शुरुआत कैसे करें स्क्रिप्ट | Devotional Program Anchoring Script

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Bhakti Sandhya me anchoring kaise kare, Anchoringin Bhakti Sandhya

भगवान के दरबार में भक्तों का डेरा होता है
और श्रद्धा के चढ़ते फूलों में उसका ही बसेरा होता है
सृष्टि के हर कोने में जो व्याप्त होता है
दिल से जो भी याद करे, वो उनके पास होता है।

तो दिल की गहराई से याद भगवान को करते हैं और उन्हें श्रद्धा सुमन के फूल अर्पित करते हैं और आज के कार्यक्रम का श्री गणेश करते हैं।

सदा न कोयल बोलती, सदा न खिलते फूल
इसे अवसर मिलते जब
भाग्य हो अनुकूल।

आज के शुभ पावन अवसर की सबको हार्दिक शुभकामनाएं देती हूँ और मां दुर्गा के चरणों में वंदन करती हूँ।

आज के शुभ पावन अवसर पर हम सब यहां मां का जागरण करने के लिए एकत्रित हुए है। मां की दिव्य शक्तियां आज इस प्रांगण को अभिभूत करके नई ऊर्जा का सृजन कर रही हैं और अपना आशीर्वाद हम सब भक्तों पर बरसा रही हैं, और किसी न किसी रूप में आकर हमें दर्शन देंगी। तो हम आज तन्मयता में लीन होकर, मलीनता को हटाकर, मन को पवित्र करके और इस रात्रि को मां की भक्ति में लीन हो जाते हैं।

शुद्ध भावों का हो रहा आगमन है
क्लेश सब मिट गया है
सत्संग सुनने से धुले सारे पाप
निर्मल मन आज हो गया है।

कार्यकर्म की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए, हमारे मुख्य अतिथि प्रांगण में पधार चुके हैं, तो एक बार जोरदार तालियों के साथ
हमारे आज के माननीय अतिथि श्री मनसुख पारेख, श्री श्याम लाल जी भूतरा और श्रीमती गायत्री जी शर्मा का मंच पर स्वागत करती हूँ।

दीप प्रज्वलित हुए, हुआ नया सवेरा है
प्रांगण आपके आगमन से रोशनी से हुआ उजियारा है
झिलमिल सितारे सारे करते आपको वंदन है
पधारे गए अतिथि को हमारा कोटि-कोटि वंदन है।

स्वागत की इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए मंच पर आमंत्रित करती हूँ श्रीमान हर्ष जी को, श्रीमान मनसुख जी का माल्यार्पण कर स्वागत करें।
….. अब मैं मंच पर आमंत्रित करती हूँ श्रीमान महावीर चंद सा
को, जो श्रीमान मनसुख सा का साफा पहनाकर स्वागत करें।

तारों से प्रस्फुटित होता जैसे आकाश है
सूर्य से फैलता चहुं ओर प्रकाश है
आओ भक्ति में डूब जाएं
जिनके हाथों हुआ सृष्टि का शिलान्यास है।

अब मंच समर्पित है उनको जो मां देवी के जयकारा लगाने बड़े दूर से आए हैं और उनके गीतों में सिर्फ मधुरता नहीं झलकती बल्कि एक ऐसा आकर्षण है, एक ऐसा जो हमें खींच ले जाती है। तो तन्मय होकर हमें अमृत का पान पिलाने और मां की महिमा गाने मंच पर आमंत्रित हैं मुंबई के मशहूर कलाकार निजाम जी और ममता जी। तो एक बार जोरदार तालियों के साथ ममता जी और निजाम जी का स्वागत करते हैं और यह मंच भी आपके स्वागत में आतुर है और समस्त भक्त आपकी आवाज और मां की भक्ति में लीन होना चाहते हैं।
और इस जागरण के उद्देश्य को सफल बनाएंगे।

अंत में आप कह सकते है
मां दुर्गा जागरण से मन को अपार शांति मिली है, क्लेश, पाप सब धूल गए हैं, और श्रद्धा का बीज अंकुरित होकर फूट रहा है, और इन बीजों से इसे पुष्पों का निर्माण होगा जो विश्व में व्याप्त मलीनता को हटाएंगे। और इसी आशा के साथ पधारे गए सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित करती हूँ, और बाहर से आए कलाकारों की कला को वंदन करती हूँ, उनकी प्रतिभा को नमन करती हूँ और मां के प्रति उनकी श्रद्धा भावना का अभिवादन करती हूँ और चार पंक्तियां कहकर इस मंच को छोड़ने की अनुमति चाहती हूँ।

हमारी हर इबादत में जो बसा है
सृष्टि को जिसने अपने हाथों रचा है
भक्तों की पुकार पर आधी रात को भी जो चला आता है
मन वचन काया से जो श्रद्धा भक्ति करता, भगवान उनके मन मंदिर में ही बस जाता है।

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