Skip to content
Home » Shayri » भगत सिंह शहीद दिवस शायरी | दो लाइन भगत सिंह शायरी | Bhagat Singh par Shayri

भगत सिंह शहीद दिवस शायरी | दो लाइन भगत सिंह शायरी | Bhagat Singh par Shayri

  • by
Bhagat Singh par shayri, Shayri on Bhagat Singh

झूल गया था फांसी के फंदे पे हंसते हंसते
इंकलाब की गूंज आज बाकी है
यह आज़ादी जिसके लहू से होकर निकली है
मिट्टी में उसकी कफ़न की कुछ बूंदें आज भी बाकी हैं।

वतन की मिट्टी को भर हाथों में
सौगंध भगत ने उस दिन खाई थी
जिस दिन जलियांवाला बाग में
जनरल डायर ने गोलियां चलाई थीं।

भूल गए हम आज आज़ादी के उस दीवाने को
जिसने बीज क्रांति का बोया था
सरफरोशी की तमन्ना दिल में लेकर
धरती मां से लिपटकरकर फिर सोया था।

कतराकतरा से जिसने आज़ादी का लहू घोला है
भारत के गौरव में अमृत का रस घोला है
इतिहास जब वीरों की गाथा गाएगी तो भगत को भी याद करेगी
मरते दम तक मुँह से सिर्फ इंकलाब बोला है।

आज़ादी का एक ऐसा परवाना था
जिसने फांसी के फंदे को भी बनाया खूबसूरत फसाना था
तभी तो नतमस्तक हो जाती धरती माता भी उनके आगे
सरफरोशी की तमन्ना लेकर घूमता वो दीवाना था।

error: Content is protected !!