पलको पे तुम्हे रखा है
अपने लहू के हर कतरे से तुम्हे लिखा है
एक शब्द में सिमटा संसार देखा है
मां की ममता को आसमान की उच्चाइयों के उस पार देखा है।
उसकी डांट में भी प्यार देखा है
ममता का दुलार देखा है
भगवान की साक्षात मूरत देखी है
मुस्कुराती हुई मां को जब मेरे पास देखा है।
उसकी टोक में हमारी खुशी की चाह देखी है
उसकी सीख में बुलंदियों की राह देखी है
उसकी हंसती आंखों में यह सृष्ठी देखी है
मैंने मां के चरणों में पूरी कायनात देखी है।
अम्बर ने धरती पे बरसाए नूर है
मिला हमे उसमें से एक कोहिनूर है
रास्ते में बिछे हजारों शूल है
मां की बदौलत बन गए आज सारे वो फूल है।
तभी तो मां
मां एक महाकाव्य है
महाभारत और रामायण भी इसके आगे शून्य है
मां के दुग्ध से निकलता गंगा का पवित्र पानी है
मां ही चारों धाम, यह ग्रंथो की वाणी है।
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