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Hindi Diwas par Kavita | हिंदी दिवस पर कविता | हिंदी भाषा हमारा गौरव कविता

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धूप को सिमटते हुए देखा है
फूलों को महकते हुए देखा है
फसलों को खिलते हुए देखा है
हिमालय को मुस्कुराते हुए देखा है
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक
हिंदी में ही लोगों के दिलों को धड़कते हुए देखा है।

हिंदी के प्रति लोगो में आदर भाव देखा है
हिंदी में लोगो को बोलते देखा है
कंपकपाते हुए हाथो से अखबारों को पढ़ते हुए देखा है
हिंदी के ही समाचार पत्र हर बालकनी में देखा है।
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक
हिंदी में ही लोगों के दिलों को धड़कते हुए देखा है।

बड़े बड़े पखवाड़े में हिंदी को उभरते हुए देखा है
और बड़ी तादाद में लोगो को सुनते देखा है
और हिंदी की रचनाओं पे
कलम को डूबते हुए देखा है।
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक
हिंदी में ही लोगों के दिलों को धड़कते हुए देखा है।

हिंदी को सूरज की तरह रोशनी बिखेरते देखा है
प्रस्फुटित हुए देश के हर कोने में देखा है
और राष्ट्रीय गान की तर्ज पे
देश विदेश तक लोगो को शांत मुद्रा में देखा है।
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक
हिंदी में ही लोगों के दिलों को धड़कते हुए देखा है।

प्यार में डूबता जमाना देखा है
इजहार में हिंदी का ही नजराना देखा है
सरहदों पर हिंदी का सफरनामा देखा है
और मेहमानों के स्वागत में हिंदी का ही अफसाना देखा है।
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक
हिंदी में ही लोगों के दिलों को धड़कते हुए देखा है।

हर मौसम में एक ही सवेरा देखा है
ढलती सांझ में वही बसेरा देखा है
हिंदुस्तान की नसों में हिंदी की इबादत देखी है
हिंदी में हमने पूरी ही हिंदुस्तान की ताकत देखी है।
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक
हिंदी में ही लोगों के दिलों को धड़कते हुए देखा है।

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