मेरी मां नायाब है,
दुनिया में सबसे खूबसूरत है
गोदी में उनके अलग ही सुख मिलता है
ऐसा लगता है, कायनात का रास्ता यही से होके निकलता है
यू टू मां के बिना कोई दिन नही होता
हर दिन उनसे शुरू और उन्ही पे खतम होता है
पर आज मदर्स डे पे अपने मां के लिए कुछ अर्ज करना चाहती हू।
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, समस्त शिशकगण, पधारे गए अथितिगण और मेरे प्यारे विद्यार्थी
मां के दर्शन से मिट जाते सारे रोग है
उनकी एक हसी से फलते फूलते इस दुनिया के लोग है
जिनकी कुर्बानी को कहने लगू तो कितने काल व्यतीत हो जायेंगे
दुनिया के इस अलौकिक सितारे को मेरा प्रणाम है।
अपने बच्चे की खुशी के लिए कितने त्याग करती है मां, बच्चे की किलकारी और रात भर नही सोती है मां, स्तनपान से अमृत का पान और अपने होने का एहसास कराती है मां, बच्चे को सूखे में सुला खुद गिले में सोती है मां, बच्चा जब बीमार हो तो रोती है मां।
मां तू ही जन्नत है तू ही भगवान है
तेरे हर रूप को वंदन बारंबार है।
ग्रंथो में लिखा है की अगर हमारे शरीर का चमड़े का जूता बना के मां को पहना दे तो भी हम उसके दूध का कर्ज नही चुका सकते, उसके त्याग को हम नही भुला सकते,मां तो वो पारस पत्थर है जो हर किसी के नसीब में नहीं होता, वो किस्मत वाले ही होते है, जिनके पास मां होती है।
क्यों मां आज अनाथ आश्रम में है, क्यों आज वो अकेली है, क्यों उसकी आंखे फिर भीगी है, क्यों आज फिर वो रोई है,
जिस मां ने हमें जन्म दिया और हमे इस लायक बनाया की हम दुनिया की भीड़ में अपनी पहचान बना सके और हमने क्या किया, मां को अकेले छोड़ दिया, जब उन्हें हमारी सबसे ज्यादा थी, क्युकी आज हम स्वार्थी हो गए,
अंत में इतना ही कहना चाहती हू
आसमान की ऊंचाइयों से को ऊंचा है
धरती की गहराइयों से जो गहरा है
दिल की दीवारों पे जिसका पहरा है
जिससे रिश्ता सबसे गहरा है
जिसके होने से सृष्टि में होता नया सवेरा है
कायनात का रास्ता भी जिनके पास से ही गुजरा है
जिनकी मुस्कुराहट बिखेर देती सारे रंग है
हम सब उन्ही के तो अंग है
खुशियों की पहली, हमारी सखी सहेली
रोज़ सिखाती नई पहेली
दर्द सहकर दुआ बन जाती है
वो मां है, जो बिन कहे सब कुछ समझ जाती है
आज इतना ही कहना है मां
मेरी दुआए में शामिल बस एक ही नाम है,
जिसने दिया मेरे जीवन को नया आयाम है
वो और कोई नही मेरी मां है
करते आपको वंदन बारंबार है।