आदरणीय मुख्य अथिति महोदय श्री कल्याण जी, समस्त प्रबंधक टीम, सारे शिक्षकगण, पधारे गए अथिति गण और मेरे प्यारे विद्यार्थीयो,
सबसे पहले में माननीय मुख्य अथिति श्री कल्याण जी का हार्दिक अभिनंदन करती हु की वो इतने व्यस्त होते हुए भी, समय निकाला और आज के इस एनुअल डे कार्यकर्म के गौरव में चार चांद लगाए, हमारे पधारे गए अथितिगण का स्वागत करती हु जिनकी तालियों की गूंज से महक उठा प्रांगण है, जिनके साथ और जिनके होने से यह २१ वर्षो की तपस्या सफल हो पाई है,
आज हमारे विद्यालय को २१ वर्ष पूरे हो गए है, जिसका लेखा जोखा आज आपके समक्ष रखने आई हु,
आज का दिन हमारे विद्यालय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि आज के ही दिन इस विद्यालय की नींव रखी गयी थी और तब से यह विद्यालय सिर्फ विद्यालय नही रहा है, यह मेरा दूसरा घर है। यह कह दु तो भी अतिशयोक्ति नही होगी, की हमने यहाँ मिल कर जिंदगी के सबसे यादगार पलों को जिया है, साथ मे हँसे है तो साथ भी गम को भी बांटा है। शिक्षा के साथ व्यावहारिक परीक्षण का सामंजस्य भी यहां हमने यहां दियाहै, ताकि जब हमारे विद्यार्थी विद्यालय से बाहर निकले तो अपने आप मे सक्षम नागरिक बन के उभरे। इतना ही गुरु के सानिध्य में ज्ञान का सतत और निरंतर विकास भी हमने यहां प्रदान किया। इसलिए यह विद्यालय शिक्षित समाज की नींव रखने की पाठशाला है।
शैक्षणिक गतिविधियों में यह विद्यालय हमेशा अग्रणी रहा है, ओलंपाड exams में यहां के बच्चो का रिजल्ट काबिल ए तारीफ है, इस वर्ष दो बच्चो ने नेशनल लेवल पे गोल्ड जीता जिनका नाम है साम्य ९A ओर ऋतु ३b,
खेल में यहां के बच्चो ने अच्छा प्रदर्शन किया,
और दूसरी गतिविधि भी में भी यहाँ के विद्यार्थी हमेशा अच्छा प्रदर्शन करते रहे है।
अब कुछ पंक्तियों अपने विद्यालय के लिए कहा अपनी वाणी को विराम देना चाहूंगी और हमारे पधारे गए अथितिगण का आभार व्यक्त करती हु।
ज्ञान का समावेश होता जिस भव्य मंदिर में
शिक्षा का होता जंहा आदान प्रदान है
लाखों पीढियां शिक्षित होती
एक भव्य समाज का होता ऐसे निर्माण है।
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