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महात्मा ज्योतिबा फुले भाषण | ज्योतिबा फुले पर निबंध | Speech on Jyotibha Phuley in Hindi

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दलितों के मसीहा बनकर इस बीमारी को जड़ से जिसने मिटाया था
स्त्री को भी पढ़ने का अधिकार जिसने दिलाया था
खुद जूझते रहे तकलीफों से, पर बुलंद आवाज जिसने उठाई थी
वो उगता सूरज ही था जिन्होंने इस समस्या से हमेशा के लिए मुक्ति दिलाई थी।

आदरणीय प्रधानाचार्य जी, समस्त शिक्षक गण, पधारे गए अथिति गण और मेरे प्यारे विद्यार्थियों।

हम से से कोई विरले ही होते है जो समाज में व्याप्त कुरीति से लड़कर उन्हे जड़ से उखाड़ने का प्रयास करते है और उसे मिटा कर ही दम लेते है और ऐसे ही विरले व्यक्तित्व के धनी है
महात्मा ज्योतिबा फुले जी।

महात्मा ज्योतिबा फुले जी का जन्म 11अप्रैल 1827 को हुआ था, इनकी माता का नाम चिमनाबाई और पिता गोविंदराज थे। 12 वर्ष में इनकी शादी सावित्री बाई से करवा दी गई।

ज्योतिबा फूले और सावित्री बाई फुले ने नारी जाति के हित में अपना पूरा जीवन लगा दिया और समाज में व्याप्त हो रही कुरीतियों को जड़ से उखाड़ दिया।

ज्योतिराव ने सावित्री बाई फुले को न सिर्फ शिक्षित किया, बल्कि उन्हें राष्ट्र निर्माण के लिए इसे तैयार किया जैसे किसी सांचे से सोना तप कर तैयार होता है।

ज्योतिराव और सावित्री बाई फुले ने 1848 में लड़कियों के लिए पहली स्कूल की शुरआत की और धीरे धीरे उन्होंने 18 स्कूल खोल दिए।

ज्योतिबा फुले ने बचपन से ही समाज की विकृत मानसिकता को सहा और उन्होंने समाज की विचारधारा को बदलने का मानस बना लिया।
क्या कुछ न सहा पर कहते है न
अगर संकल्प सच्चा हो और विश्वास पक्का हो तो आसमान को भी झुकना
पढ़ता है।

24 सितंबर को इन्होंने महाराष्ट्र में सत्यशोधक समाज की स्थापना की, बालविवाह का खुलकर विरोध किया, विधवा विवाह का सहयोग किया और जाति पात के भेदभाव को मिटाकर, मिलकर रहने का संदेश दिया।
11 मई 1888 को इन्हे मुंबई की विशाल सभा में महात्मा की उपाधि से सम्मानित किया गया था।


अछूत, दलित, हीन जाती वाले
पता नही किन किन शब्दो से मुझे बुलाते है
स्वांग रचाने वाले वो
तुम क्यों प्रश्नचिन्ह लगाते हो।

नज़रिया बदलो
हम सब एक है
अलग अलग ढांचे में डाल दिये गए है
पर उसके मंदिर में आज भी एक समान है।

28 नवंबर1890 को यह दीपक हमेशा के लिए विलीन हो गया।

1975 में बरेली में इनके याद में इनके नाम पर एक विश्वविद्यालय की स्थापना भी की गई।

“भारत की बुलंद आवाज थी,
सबके दिलो में बसने वाले वो सिरताज़ थे
महिलाओं के शिक्षा के खोले जिसने द्वार थे
महात्मा जी की उपाधि से सजा जिनके ताज था
समाज सुधारक में उनका भी तो नाम था
दलितों के हित में किया उन्होंने बड़ा काम था
तभी तो खड़ा उनके साथ पूरा हिन्दुस्थान था
महात्मा ज्योतिबा फुले जी देश की आन बान शान थे।”

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