“क्या चित्रण करे विज्ञान का जो खुद में विश्लेषित है
लाखों लोगो से अठखेलियां करती, वह मानव निर्मित है
बढ़ता हुआ विकास एक नई कामयाबी का मंजर
रहस्यमयी दुनिया का दिखाया जिसने हमे दर्पण है।“
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, समस्त शिक्षकगण, पधारे गए अथितिगण और मेरे प्यारे सहपाठियो।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की सबको हार्दिक शुभकामनाएं देना चाहती हू और विज्ञान दिवस पर मुझे मंच प्रदान करने के लिए आप सबका तहदिल से धन्यवाद ज्ञापित करती हु।
तकनीकी ने मानव के विकास में मुख्य भूमिका अदा की है क्योंकि जिस प्रकार सूर्य अंधेरों से निकलकर रोशनी की किरणों से जग को प्रकाशित करता है उसी प्रकार विज्ञान ने मानव जीवन को नया आयाम दिया है। एक नई सोच और निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। एक बुझते हुए दीपक में भी रोशनी की लो जगा दी, एक खंडर को भव्य महल का रूप दिया या कहे मिट्टी को भी सोने में जिसने रूपांतरित किया उसी तकनीकी ने करोड़ों मानव के घरों में रोशनी से रोशन किया और इस तकनीकी को उपयोगिता और उसका प्रचार प्रसार करने के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस बनाया जाता है।
11 मई 1998 इतिहास का वो दिन जहा पोखरण राजस्थान में ऑपरेशन शक्ति के तहत तीन परमाणु परीक्षण सफल हुए,13 मई को दो और परमाणु परीक्षण किए गए थे जिनका नेतित्व दिवगंत राष्ट्रपति ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम ने किया, इसी दिन मिसाइल त्रिशूल का भी सफल परीक्षण हुआ, इसी दिन भारत में परमाणु शक्ति पर विजय हासिल को थी, इतनी बड़ी जीत हासिल करने की खुशी में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपई ने इसे राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस बनाने की घोषणा को और पहला राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 11
मई 1999 को बनाया गया। तबसे हर वर्ष यह दिन बड़े ही रोचक तरीके से बनाया जाता है और इस दिन विद्यालय में शोधकार्य, एग्जिबिशन लगते है और विज्ञान के प्रोफेसर को chief guest बुलाया जाता है और तकनीकी के महत्व को भी दर्शाया जाता है ।
आज अंतरिक्ष में जाना हो या समुद्र तल की यात्रा करनी हो, परिंदो की तरह खुले आसमान में उड़ना हो या एक ही जगह बैठे दूर रिश्तेदारों से बात करनी हो या मौसम की जानकारी ज्ञात करनी हो, यह संभव हुआ है आज तकनीकी के हो रहे निरंतर अविष्कारों से।
हाल की ही बात है मेरे सखी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया, चेहरे पे हल्की सी मुस्कुराहट के साथ हल्का सा दर्द नजर आया। कहती है वो आज वो सीसीटीवी कैमरा न होता तो वो विधार्थी नकल करते हुए पकड़ा न जाता और मेरे सर पर यह ताज न होता।
Whtspp की दुनिया की बात करे तो जो लंबी दुरियो को भुलाकर खुशियों का एहसास कराती है, कल की ही बात करू तो ममी का bp low हो हुआ, पता चला भैया जो की अमेरिका में है उनकी वजह से परेशान, पांच मिनट भी नहीं लगे, ममी की भैया से बात करा दी, ममी का bp सामान्य, घर का मोहोल खुशमिजाज, है न तकनीकी का कमाल। आर्थिक क्षेत्र में भी तकनीकी ने मानव की मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति न की, बल्कि उनके सपनो को भी नई ऊंचाइयों प्रदान की है।
सौर उर्जा, पवन ऊर्जा, जैव गैस, भूतापीय ऊर्जा, C N G गैस जिन्हे आधुनिक युग का अलादीन का चिराग भी कह दे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होंगी, इलेक्ट्रिक eel मछली की एक ऐसी प्रजाति जिससे ५०० v के बिजली का उत्पादन होता है, जो तकनीकी का ही कमाल है।
हर सिक्के के दो पहलु होते है, अगर मानव ने कोई चीज बनाई तो हम इससे पिछड़े क्यों, अगर आधा घड़ा खाली है तो आधा भरा भी है, मैंने अपने विचारो से इसे भरने का प्रयास किया है,
अंत में चार पंक्ति कहकर अपनी वाणी को विराम देती हु और तकनीकी दिवस की सबको हार्दिक शुभकामनाए देती हु।
“मेंहदी जब सहती है प्रहार
बन जाती है ललनाओ का श्रृंगार
फूल पिरोए जाते है, हम उन्हे गले लगाते है
मानव जब जब जोर लगाता है, पत्थर भी पानी बन जाता है।“
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