आशाओं के दीप जलाकर
एक नया सवेरा लेकर आई हु
बूंद बूंद बचाकर
गागर में सागर भरने आई हु।
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, समस्त शिशकगण, पधारे गए अथितिगण और मेरे प्यारे सहपाठियो
आज जल दिवस की सबको हार्दिक शुभकामनाएं देती हु और इस दिवस पर मुझे मंच प्रदान करने के लिए आपका तहदिल से धन्यवाद ज्ञापित करती हु।
क्या आप जानते है की पूरे विश्व में कितना प्रतिशत पानी है और उसमे कितना पेयजल पीने योग्य है। पूरे विश्व में 71% प्रतिशत पानी है और उसमे पीने योग्य मात्र 3% है। जिसका उपयोग जितना हम नही कर पाते उससे कही ज्यादा तो पानी हम ऐसे ही गिरा देते है। क्योंकि हम जल की importance समझ ही नही पा रहे है। भारत में 140.76 crore आबादी वाले देश में कितने ही गांव ऐसे होंगे जहा लोग पानी के लिए तरस जाते है और यह समस्या कितने ही गावो में अपने पंख पसार चुकी है।
पानी की हो रही किल्लत है
और तुम चैन की नींद सोए हो
पर आज तुमें जगाकर
उन पंझारियो की नींद मांगने आई हु।
जल संरक्षण और उसकी उपयोगिता बताने के लिए २२ मार्च आज के दिन हम जल दिवस बनाते है। पहला विश्व जल दिवस 1993 में बनाया गया।
जल है तो सरोवर को मिला जीवन है
जल है तो प्रकृति में बसी हरियाली है
जल है तो पक्षी भी कर रहे मधुर गान है
जल है तो मुस्कुराता हुआ कल है।
जल ही जीवन है, इसलिए हमारा प्रयास रहना चाहिए की हम जल का दुरुपयोग न करे, जल को व्यर्थ बहने न दे, हम नल को खुला न छोड़े, जितनी उपयोगिता है उतना ही उपयोग करे और बरसात के पानी को भी इक्ट्ठा कर उसका भी प्रयोग करे। अगर हर मानव जल के प्रति सजग होकर अपना कर्तव्य निभायेगा तो शायद यह दिन बनाने की जरूरत ही नही पढ़े, सोचो अगर आसमान में ग्रह, नक्षत्र, तारे न होते तो क्या होता, अगर धरती पे जल न होता तो क्या होता, यह कल्पना कर अगर हम पानी को निर्थर्क बहने से रोक सके तो हमारा यह जल दिवस बनाना उपयोगी साबित होगा।
अंतिम चार पंक्तियों से अपनी वाणी को विराम देती हु
चलो बूंद बूंद बचाते है
सृष्टि को और सूंदर बनाते है
आगे आने वाली हर पीढ़ी को
यही कीमती रत्न हम ख़ुशी ख़ुशी पहनाते है।
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