कोशिश तो हर कोई करता है
पर सफ़लता पाता कोई कोई है
इतिहास तो सब पढ़ते है पर
इतिहास बनाता कोई कोई है
एक रास्ते तो सब चलते आते है
पर रास्ते को बदल पाता कोई कोई है
समस्या तो सभी झेलते आते है
पर समस्या पे विराम चिन्ह लगाता कोई कोई है
संसार मे हर क्षण जन्म लेते हज़ारो लोग है
पर इतिहास में नाम दर्ज कर पाता कोई कोई है।
सादर नमस्कार, पधारे गए अथितियों को मेरा प्रणाम
आज एक इसे व्यक्तित्व के बारे में बोलने का अवसर मिला जो ईश्वर का स्वरूप बन कर धरती पे आए थे और लोगो की सोच को नई दिशा प्रदान की और छोटी जाति को भी समाज में समान दर्जा दिलाया।
अपने काम से विशेष प्रेम करने वाले, जूते बनाने के काम को भी खुशी से करने वाले, चेहरे पे हमेशा मुस्कान कायम करने वाले और ईश्वर भक्ति में लीन रहने वाले संत रैदास जी का जन्म वाराणसी शहर के गोवर्धनपुर गांव में १३ वी या १५ वी शताब्दी में हुआ । उनके पिता का नामसंतोष दास और माता कलसा देवी था और पत्नी का नाम लोना देवी था। इनके गुरु रामनंदाचार्य थे। परोपकार, दानवीर, सरल स्वभावी होने के कारण इनकी ख्याति पूरे भारत में व्याप्त होने लगी और इनके शिष्यों में एक राजस्थान की कवयित्री मीरा बाई भी थी।
उस समय शुद्रो को मंदिर में जाने की अनुमति नही थी इतना ही नही अगर कोई व्यक्ति भगवान के श्लोक सुन भी लेता तो उनके कान में गरम गरम तेल डलवाया दिया जाता था। वो कहते थे की भगवान हर जगह व्याप्त है, आप कही भी रह कर भगवान को याद कर सकते हो, तो उसके मंदिर जाने की आवश्यकता ही क्या है।
वो एक कवि भी थे, अपने दोहों के माध्यम से उन्होंने समाज को सुधारने का कार्य किया और उच्च नीच के भेदभाव को दूर कर परस्पर मिलकर रहने का उपदेश दिया। वो हमेशा कहते थे “मन चंगा तो कटौती में गंगा” अर्थात अगर मन शुद्ध हो तो सफ़लता अवश्य प्राप्त होती है और उचित वस्तु की भी प्राप्ति होती है।
वाराणसी में उनका भव्य मंदिर और मठ बना हुआ है और उनके नाम से पार्क भी बना हुआ है, दूर दूर से श्रद्धालु उनके दर्शन करने आते है।
अंत में कुछ पंक्तियां कहकर अपनी वाणी को विराम देती हु और संत रविदास के चरणों में वंदन करती हु।
फलक से उतरा एक सितारा जो आज फलक में समा गया
उच्च नीच के भेदभाव को दूर कर
आसमा में कही खो गया
सादा जीवन और उच्च विचार से चलने वाला
मन चंगा तो कटौती में गंगा इसपर विश्वास करने वाला
आज इस जयंती पे उन्हें नमन करते है
लाखो करोड़ों के मसीहा को आज वंदन करते है।
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