चित्रण क्या करे उनका जिनका जीवन खुद एक विश्लेषण था
लाखो करोड़ों की भीड़ में बने वो पथ प्रदर्शक थे
एक ही सूत्र में पूरे भारत को जिसने पिरोया था
प्यार से जिन्हे सब कहते बापू थे।
आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिशकगण और मेरे समस्त सहपाठीयो
सबसे पहले गांधी जयंती की सबको हार्दिक शुभकामनाएं देती हु और एक इसे शख्शियत में बारे में बताकर खुद को गौरावंतित महसूस करती हु जो सिर्फ एक स्वतंत्र सैनानी नही थे बल्कि अमन शांति का संदेश पहुंचाने वाले दूत थे, एलबर्ट आइंस्टन ने यह तक कह दिया उनके बारे में
भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था।”
बिना अस्त्र के जिसने युद्ध लड़ा था
रंग भेद की कुरीति से जिसने मिटाई थी
अपने आंदोलन से स्वंत्रता की लड़ाई को मुकाम तक पहुंचाई थी
अहिंसा और सत्य से जिसने विश्व शक्ति को भी झुकाया था
और अंग्रेज़ो को भारत से भगाया था।
गांधीजी का जन्म २ oct १८६९ को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। १३ वर्ष में उनकी शादी कस्तूरबा से हुई और १९९९ में अपनी आगे की पढ़ाई बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड रवाना हो गए।
१८९३ में वो साउथ अफ्रीका चले गए जहां उन्होंने २१ वर्ष व्यतीत किए और अनेक कुरीति का सामना किया और रंगभेद की कुरीति को समाप्त किया।
१९१५ में गोपाल कृष्णा गोखले के आग्रह पे वो भारत लौट आए।
आते ही उन्होंने १९१५ में बिहार में चंपारण आंदोलन चलाया जहा उन्होंने बिहार में जबरन नील की खेती से किसानों को मुक्त दिलाई, इसी वर्ष उन्होंने गुजरात के खेड़े जिले में अकाल में भी टैक्सी वसूली पे रोक लगाई और उन्होंने खिलाफत आंदोलन में भी सहयोग किया।
१९१९ में अंग्रेज़ो द्वारा rowlatt act लगाए जाने पे उन्होंने अहसहयोग आंदोलन चलाया जहा विदेशी वस्तु का बहिष्कार हुआ पर चोरा चोरी कांड होने के बाद गांधीजी ने अपना आंदोलन वापस ले लिया। क्योंकि वो हिंसा के खिलाफ थे।
मार्च १९३० में नमक पर लग रह टैक्स का विरोध करते हुए ४०० km पैदल यात्रा की और कानून तोड़ते हुए नमक भी बनाया। इस आंदोलन का नाम दांडी मार्च पड़ा और इसमें लोगो में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और उनके आंदोलन और लगातार प्रयासों से भारत एकजुट होने लगा और परतंत्रता की बेड़ियों को तोड़ स्वतंत्र भारत के सपने सजने लगे थे और इसी एकता ने अंग्रेज़ो को झुकने पे मजबूर कर दिया और १५ aug १९४७ को भारत अंग्रेजी हुकूमत से पूरी तरह आजाद हो गया।
गांधीजी के बारे में इतना ही कहना चाहूंगी
गुलामी की जंजीरों से भारत को छुड़ाया था
मुस्लिम,सिख,हिंदू,ईसाई सब भाई भाई यह पाठ सिखाया था
एकता के सूत्र में पूरे भारत को पिरोया था
स्वंत्रत भारत का सपना हर आंख में सजाया था
एक गाल पे कोई मारे, दूसरे गाल बढ़ाया था
अहिंसा और सत्य का पाठ पूरे विश्व को पढ़ाया था
आजादी के साथ स्वच्छता का पाठ पढ़ा गए
खादी पहनकर अंग्रजी वस्तु का बहिष्कार कर गए
बन के वो एक चेतना संदेश क्या क्या दे गए
अपनी भारत की मिट्टी को पवित्र कर गए
वो नहीं हैं, पर आज भी वो जिंदा है
हमारे विचार में और हमारे आचार में ।
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