जिंदगी की दौड़ दौड़ते२ अब ठहराव आया है
सुनहरे पलो को जीने का उम्र का वह पड़ाव आया है।
ऑफिस की file पढ़ते२ अब विराम आया है
यह वक़्त पोते पोती, दोयता, दोयती के नाम आया है।
खुशिया बिखेरता यह पल आया है
परिवार भी देखो कैसे संग आया है
आंखों में आंसू भी लाया है
गम के बीच खुशियों को संग लाया है।
शुभकामनाओ की भेंट लाया है
तोहफ़ों की बौछार लाया है
सबका प्यार और स्नेह लाया है
आपके सम्मान में आसमान से बरसात लाया है।