हमारे पिछले कर्मो का ही फल है कि हमे मनुष्य भव मिला और जैन धर्म मिला और गुरुजनों का सानिध्य मिला और जिनवाणी सुनने का परम सौभाग्य मिला और ऐसे तपस्वी आत्मा के चरणों मे वंदन करने का सौभग्य मिला।
तो कुछ मुक्तक तपस्वी आत्मा के लिये
1. तप पर कविता
दीप प्रज्वलित हुए हुआ नया सवेरा है
जिनशाशन का प्रांगण रोशनी से हुआ उजियारा है
झिलमिल सितारे सारे करते आपको वंदन है
तपस्या करने वालो के चरणों मे हम सबका कोटि कोटि वंदन है
निर्मल विचारों के अनुरूप तपस्या से खिला आत्मा का आंगण है
तप और त्याग से सजा जिनशाशन का प्रांगण है
अनुमोदना कर रहे करते आपको वंदन
तपस्या करने वाली बहन को हमारी ढेरो शुभकामनाये।
2.Shayri for Jain Tapasya / Jain
एक दिव्य प्रकाश का दिव्य हाथों हुआ प्रदार्पण है
ज्योत से ज्योत सजी सज जिनशाशन का प्रांगण है
झिलमिल सितारे सारे करते आपको वंदन है
तपस्या करने वालो को हमारा सत सत अभिनंदन है।
3.अनुमोदना अनुमोदना बारंबार
हाथों में सुरभित चंदन है
तपस्वी आत्मा को हमारा कोटि कोटि वंदन है।
4.तपस्या की अनुमोदना
तपस्वी आत्मा से सजा आंगण है
जिनशाशन का महकता आज प्रांगण है
धन्य है वो तपस्या से आत्मा की निर्जरा करते है
और तप साधना में निरंतर आगे बढ़ते है।
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Poem on Dikhsha :- https://nrinkle.com/2021/08/poem-on-jain-diksha-in-hindi/