चार दोस्त और वो रहस्यमयी पेड़
एक बार की बात है, एक छोटा सा गाँव था जहाँ चार दोस्त रहा करते थे। चारो की दोस्ती बहुत गहरी थी। रोज़ सायंकाल होते ही वो गाँव के आधा किमी दूर एक बरगद का पेड़ था, वहाँ बैठकर एक दूसरे से गपसप करते थे और अंधेरा होते ही अपने अपने घर चले जाते थे।
वो जिस बरगद के पेड़ के नीचे बैठ के गपसप लगाते थे वह पेड़ बहुत रहस्यमयी था। इस बात से अनजान वो सभी दोस्त खुशी खुशी अपने दिन बिता रहे थे।
एक बार की बात है। सभी दोस्त रोज़ की तरह बरगद के पेड़ के नीचे बैठे थे। बारिश बहुत तेज चढ़ चुकी थी। सबने सोचा जल्दी से यहाँ से निकल जाए तभी आसमान से पानी बरसने लगा। पानी इतना तेज था कि घर जाना तो दूर एक कदम भी आगे बढ़ाना मुश्किल था।
तभी उन्होंने देखा,इतनी तेज बारिश होने के बावजूद भी उनके ऊपर पानी की एक बूंद भी नही गिरी। जिस बरगद के पेड़ के नीचे वो बैठे थे वो पेड़ अपनी डालियों से उन्हें बचा रहा था।
तभी एक दोस्त की नज़र तने पे गयी। वहाँ उसे एक आकृति नज़र आयी। वो एकदम सकपका गया और उसने सब दोस्तो को जल्दी यहाँ से चलने का इशारा किया।
तभी तने से एक आवाज़ आयी, रुको तुम यहाँ से गये तो पूरा भीग जाओगे और अंधेरा होने से तुम्हे पहुँचने में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।
सब दोस्त डर गए थे और आश्चर्य और भय भरी नजरों से एक दूसरे को देखने लगे थे। वो अब सोचने लगे हम यहाँ से नही जायेंगे तो पता नही यह पेड़ हमारा साथ क्या करेगा और यह पेड़ हमे जाने भी तो नही देंगा।
तभी उस तने में बनी आकृति बोली, तुम्हे डरने की जरूरत नही है, में कोई प्रेत आत्मा नहीं हूं, में कोसंबी नगर की राजकुमारी हु, मुझे जादूगर ने यहाँ कैद कर लिया है पर अगर तुम चाहो तो तुम मुझे छुड़वा सकते हो।
सभी दोस्तों ने विचार विमर्श किया उन्हें राजकुमारी की बात पर विश्वास हुआ, सबने राजकुमारी से पूछा हमे क्या करना है। राजकुमारी ने कहा, तुम्हे पेड़ के पास की मिट्टी को खोदना है, उसमे एक चांदी का कलश होगा उसमे पानी भरा होगा वो पानी तुम्हे इस तने पे छिड़कना होंगा, पर यह काम तुम्हे आज रात्रि के अंतिम प्रहर से पहले करना होंगा। वरना में कभी इस तने से बाहर न निकल पाऊँगी।
सब दोस्तो ने पेड़ के पास की मिट्टी खोदी, कुछ देर खोदने के बाद उन्हें एक कलश दिखाई दिया, उसमे से एक दोस्त ने कलश को खोला और राजकुमारी के कहे अनुसार तने पे उसे डाला तभी एक सुंदर सी राजकुमारी उनके सामने आकर प्रकट हुयी।
सब राजकुमारी को देखते रह गए थे क्योंकि वो किसी अप्सरा से कम नही थी। राजकुमारी ने कहा तुम्हारी चारो की दोस्तो वास्तव में तारीफ़ के क़ाबिल है। मैं रोज़ तुम्हारी बाते सुनती थी। तुम्हारी जैसी दोस्ती मैंने कही नही देखी है। और उसने अपने गले से एक हार निकालकर दे दिया और कहा तुम्हे जब भी मेरी जरूरत हो, तुम कोसंबी आ जाना और फिर वहां से उड़ गयी।
चारो दोस्त आज बहुत खुश थे क्योंकि उनकी दोस्ती एक राजकुमारी को बचाने में और अपनी आजीविका को और सुचारू रूप से आगे बढ़ाने में सफल रही।
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