Hindi Poem on Elephant Incident in Kerala |
उस माँ ने शोक जताया
जो तुझपे विश्वास किया
ऐ मानव
तूने पूरी मानव जाति को शर्मशार किया।
वो भूखी हथिनी थी
तलाश रही थी वो खाना
उस अन्नानास को देख
उसकी खुशी का नही था कोई ठिकाना।
टूट पड़ी थी उसपे
पेट मे उसका अंकुर भूखा था
पर उसे कहा पता था
उसके अंदर भरा विस्पोटक था।
जैसे ही उसने खाया अन्नानास था
आंखों से बरसे आंसूं थे
जबड़ा फट चुका था
कलेजे तक पहुँचा शोर था।
पर क्या
तड़प रही हथिनी थी
लहूलुहान हुआ उसका अंकुर था
बरस गया आसमान भी
तड़प कर चल बसा अब गुलज़ार था।
अब बारी उसकी थी
तड़पते तड़पते हो गयी वो शांत थी
बरस गयी खामोशी थी
इंसानियत हुयी शर्मशार थी।
देख मानव उस हथिनी को
कैसे बिलख बिलख कर रोयीं है
अपने बच्चे को मरते देख
तड़पते तड़पते मौत की नींद सोयी है।
क्या सोच के तूने
अन्नानास में विस्फोट मिलाया है
एक माँ के साथ उसके अंकुर को भी तूने
गहरी नींद में सुलाया है।
एक माँ की ममता पे तूने सवाल उठाया है
निर्लज है तू मानव यह सबको बताया है
पूरी दुनिया कर रही तुम्हे धिक्कार है
क्योंकि खेल भी तूने अजब ही रचाया है।