गुणों की खान———– मिटटी है महान्
चंचल जिसका जीवन है, मति जिसकी तेज है
धीमी जिसकी रफ़्तार है, स्थायी जिसकी सोच है
बिखरी है जमी जमी पे, सबकी लाड दुलारी है
मनमोहक सी प्याली है, गुणों से रंजित न्यारी है।
विधिवत नमस्कार जिसे करते है, सब उसकी पूजा करते है
हर घर की नीव है वो, धरती माँ के गोद में पली है
अस्तित्व जिसका सारभूत, न करती किसे से देष है
नदियो के साथ बह जाये, तुफानो के साथ ढह जाये।
समपर्ण जिसके स्वभाव में है, अर्पण जिसके संस्कार है
हर रूप में ढल जाये, हर देह में निखर जाये
वो है तो दुनिया है, दुनिया है तो हम है
हमारा स्वाभिमान है वो, निर्मल विचारो की धारा है वो।
आसमा की रंगत जमी पे चहु और बिखरी है
निखरा सौंदर्य धरती का और निखरा अस्तित्व मिट्टी का
निर्मित हुआ दुनिया का वैभव इन मिट्टी के अलौकिक हाथो से
वेद पुराणों में गाते इसका गान, मिटटी की यही अमर कहानी है।